
Uttar Pradesh water transport: उत्तर प्रदेश में परिवहन को आधुनिक बनाने और नई संभावनाओं को तलाशने के लिए सरकार अब जल परिवहन की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। प्रदेश की 11 प्रमुख नदियों में जलमार्ग तैयार करने की योजना बनाई गई है। पहले चरण में 761 किलोमीटर लंबा रूट तैयार किया जा रहा है, जिससे नदियों के जरिए यात्री और माल परिवहन को बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए विभिन्न विभागों की टीम सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर रही है और जल्द ही जरूरी ढांचे का निर्माण किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का गठन किया है, जो जलमार्ग के विकास की देखरेख करेगा। प्रदेश में गंगा, यमुना, सरयू, घाघरा, गोमती, चंबल, बेतवा, वरुणा, कर्मनाशा, राप्ती, मंदाकिनी और केन समेत 11 नदियों को जल परिवहन के लिए चिन्हित किया गया है। ये नदियां उत्तर प्रदेश को अन्य राज्यों से जोड़ने का काम करेंगी।
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जलमार्ग का रूट तैयार करने के लिए सबसे पहले गंगा नदी में प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर से हल्दिया (पश्चिम बंगाल) तक मार्ग विकसित किया गया है। अब इसे कानपुर और फर्रुखाबाद तक बढ़ाने की योजना है। इसी तरह, अन्य नदियों में भी जल परिवहन और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
सरकार ने इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए लोक निर्माण, पर्यटन एवं संस्कृति, सिंचाई एवं जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण विभाग की इंजीनियरिंग टीम गठित की है। यह टीम नदियों के उद्गम स्थल से लेकर उनके संगम तक सर्वेक्षण कर रही है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, उत्तर प्रदेश में जल परिवहन का यह कोई नया विचार नहीं है। करीब 15 साल पहले प्रयागराज से कोलकाता तक छोटे जहाजों के जरिए सीमेंट भेजा जाता था। लेकिन नदियों में जलस्तर कम होने के कारण यह सेवा बंद कर दी गई। अब सरकार एक बार फिर इस पुराने जलमार्ग को सक्रिय करने की योजना बना रही है।
प्रदेश सरकार ने जल परिवहन के संचालन संबंधी नियमावली को कैबिनेट से मंजूरी दिलवा दी है। इसका मुख्यालय लखनऊ में खोला जाएगा। सरकार जलमार्गों के विकास के लिए केंद्र सरकार से भी सहयोग ले रही है। अगर यह योजना सफल होती है, तो उत्तर प्रदेश में यातायात और व्यापार की दिशा बदल सकती है। जल परिवहन से न केवल लोगों को यात्रा में आसानी होगी, बल्कि यह व्यापार और पर्यटन को भी नया आयाम देगा।
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