सिर्फ 10 महीने में यूपी से खत्म हुई गरीबी की जड़? जानिए योगी सरकार का बड़ा दावा!

Published : Aug 31, 2025, 06:16 PM IST
Yogi-Adityanath-UP-Flood-Relief

सार

Zero Poverty Campaign UP: योगी सरकार ने 10 माह में 13 लाख से अधिक निर्धन परिवार चिन्हित कर 3.72 लाख को योजनाओं से जोड़ा। आज़मगढ़, जौनपुर, सीतापुर समेत पूरे प्रदेश में गरीबी उन्मूलन की दिशा में वर्ष 2027 तक यूपी को गरीब मुक्त बनाने का लक्ष्य तय।

क्या सिर्फ आर्थिक मदद से किसी का जीवन बदल सकता है? उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस सवाल का जवाब अपने काम से दे रही है। महज 10 माह में सरकार ने 13 लाख 32 हजार से अधिक निर्धनतम परिवारों को जीरो पावर्टी अभियान के तहत चिन्हित कर लिया है। इनमें से 3 लाख 72 हजार परिवार पहले ही सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि यह अभियान सिर्फ राहत नहीं, बल्कि जीवन को स्थायी रूप से बदलने की पहल है।

कैसे शुरू हुआ जीरो पावर्टी अभियान?

15 अगस्त 2024 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सीएम योगी ने जीरो पावर्टी अभियान का ऐलान किया था। इसके बाद 2 अक्टूबर को इसे औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया। सरकार का मकसद है कि हर ग्राम पंचायत से 25 निर्धनतम परिवारों को चिन्हित किया जाए और उन्हें रोजगार, आजीविका, आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से जोड़ा जाए।

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कहाँ सबसे अधिक चिन्हित हुए गरीब परिवार?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2025 तक प्रदेश में 13,32,634 परिवार चिन्हित किए जा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा परिवार आज़मगढ़ (42,082), जौनपुर (39,374), सीतापुर (36,571), हरदोई (30,050) और प्रयागराज (28,935) में चिन्हित हुए हैं। इन जिलों में चलाए गए विशेष अभियान और पंचायतों व स्वयंसेवी संस्थाओं की भागीदारी से अधिक से अधिक परिवारों तक योजना का लाभ पहुंच रहा है।

सीएम योगी का लक्ष्य: 2027 तक यूपी गरीबी मुक्त

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई मंचों से कहा है कि गरीबी कम करना ही नहीं बल्कि इसे खत्म करना ही उनका लक्ष्य है। उनके मुताबिक 2027 तक उत्तर प्रदेश को गरीबी-मुक्त राज्य बनाया जाएगा। जीरो पावर्टी अभियान इसी दिशा में निर्णायक कदम है।

डेटा-आधारित ट्रैकिंग और पारदर्शिता की मिसाल

सरकार ने चिन्हित परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, रोजगार गारंटी और शिक्षा जैसी योजनाओं से जोड़ा है। साथ ही डेटा-आधारित मॉनिटरिंग और जमीनी स्तर पर पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जा रही है। खासकर महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है।

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