यूपी उपचुनाव: योगी के 'कटेंगे तो बंटेंगे' तो अखिलेश के 'PDA' का लिटमस टेस्ट

Published : Nov 19, 2024, 09:30 PM ISTUpdated : Nov 20, 2024, 12:38 AM IST
Yogi Adityanath Akhilesh Yadav

सार

यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में योगी और अखिलेश आमने-सामने। नतीजे दोनों नेताओं के लिए अहम परीक्षा। क्या 'बंटेंगे तो कटेंगे' या PDA फॉर्मूला चलेगा?

UP Assembly seats By-Election: यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। बुधवार 20 नवम्बर को वोटिंग होगी और प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो जाएगा। देश के सबसे बड़े राज्य में हो रहे चुनाव के नतीजे दो दिग्गजों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व सीएम अखिलेश यादव का लिटमस टेस्ट साबित होने जा रहा है। यह इसलिए क्योंकि सीएम योगी आदित्यनाथ, बीजेपी में पीएम मोदी के बाद दूसरे सबसे बड़े जनाधार वाले नेता हैं तो बीते लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के नेतृत्व में यूपी में इंडिया गठबंधन ने सारे कयासों को धता बताते हुए सबसे अधिक सीटें जीती हीं, सबसे महत्वपूर्ण रामनगरी अयोध्या में भी शानदार जीत हासिल की थी।

‘बटेंगे तो कटेंगे’ की असली परीक्षा योगी के यूपी में ही

यूपी में योगी आदित्यनाथ बीजेपी के सर्वमान्य नेता हैं। वह 2017 से मुख्यमंत्री हैं। बतौर मुख्यमंत्री उनका यह दूसरा कार्यकाल है। पूर्ण बहुमत की सरकार चला रहे सीएम योगी आदित्यनाथ, बीजेपी के देश के जनाधार वाले दूसरे बड़े नेता हैं। देश में हो रहे महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रैली के दौरान बंटेंगे तो कटेंगे का नारा बुलंद किया है। वह राहुल गांधी के जातीय जनगणना के अलावा अगड़े-पिछड़े का मुद्दा उठाने वाले नेताओं के जवाब में अपनी उग्र धार्मिक राजनीति को आगे करते हुए इस नारा को देते हुए धार्मिक ध्रुवीकरण को भुनाने की सोच को आगे बढ़ाए थे। हालांकि, महाराष्ट्र में बीजेपी और एनडीए के नेताओं ने ही मुखर रूप से योगी आदित्यनाथ के नारे को खारिज करने वाला बयान देना शुरू कर दिया। सबने एक स्वर में उस नारे को महाराष्ट्र के लिए अनफिट बताया। उधर, पीएम मोदी ने भी उस नारा की काट में एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे का थोड़ा साफ्ट नारा गढ़ा। ऐसे में अब योगी आदित्यनाथ के नारे की असली परीक्षा अब यूपी के उपचुनाव में है। हालांकि, केवल योगी आदित्यनाथ ही नहीं बीजेपी के सारे कद्दावर नेता और मंत्री-विधायक उपचुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए उतर चुके हैं। ऐसे में उपचुनाव के परिणाम कई नेताओं का भविष्य भी तय करने जा रहा है।

अखिलेश यादव के निर्णय और नारे का लिटमस

देश के कद्दावर ओबीसी नेता रहे मुलायम सिंह यादव के सुपुत्र और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए भी यह उपचुनाव किसी परीक्षा से कम नहीं। लोकसभा चुनाव में इंडिया अलायंस के यूपी में सबसे बड़ी पार्टनर समाजवादी पार्टी, इस बार सभी 9 सीटों पर उपचुनाव अकेले लड़ रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने यूपी की 80 सीटों में 43 पर जीत दर्ज की थी। इसमें सपा के 37 और कांग्रेस के 6 सांसद हैं। जबकि बीजेपी ने 33 सीट, राष्ट्रीय लोकदल ने 2 और अपनादल ने एक सीट पर जीत हासिल की है। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण ने एक सीट पर जीत हासिल की है। अब विधानसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव पर लोकसभा की तरह ही सफलता दोहराने का दबाव है। साथ ही उनको यह साबित करना भी होगा कि योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे नारा से ज्यादा स्वीकार्यता पिछडा-दलित-अल्पसंख्यक यानी पीडीए फार्मूला की है।

किन सीटों पर हो रहा उपचुनाव?

उत्तर प्रदेश में मीरापुर, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, करहल, सीसीमऊ, फूलपुर, कटेहरी, मझवां विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। सभी नौ सीटों पर 20 नवम्बर को वोटिंग होगी।

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