
Teachers 69000 posts merit cancelled: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मेरिट लिस्ट को कैंसिल कर दी है। आरक्षण में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद हाईकोर्ट ने नियुक्ति के चार साल बाद मेरिट लिस्ट को कैंसिल कर नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया है। न्यायालय के इस आदेश का विपक्ष ने स्वागत करते हुए सरकार पर आरक्षित श्रेणी का हक मारने का आरोप लगाया है।
सरकार अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रही: मायावती
बसपा सुप्रीमो व राज्य की पूर्व सीएम मायावती ने कहा कि 2019 में 69 हजार शिक्षकों की हुई भर्ती की मेरिट लिस्ट को कैंसिल करने के हाईकोर्ट के फैसले और तीन महीने में नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करने के आदेश ने यह साबित कर दिया है कि सरकार अपना काम ईमानदारी और पारदर्शी तरीके से नहीं कर रही है। कोर्ट ने सभी पीड़ित अभ्यर्थियों विशेषकर रिजर्व कैटेगरी को न्याय दिया है। योगी सरकार पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा कि राज्य में कोई भी वैकेंसी पेपरलीक से वंचित नहीं है। नौकरियों में भ्रष्टाचार और धांधली चरम पर है, कहीं भी ईमानदारी और पारदर्शी तरीका नहीं बचा है। बड़े पैमाने पर शिक्षक भर्ती में हुई धांधली से शिक्षा व्यवस्था भी चरमरा गई है।
कोर्ट ने ओबीसी को उनका हक दिलाया: डिंपल
सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप कर पिछड़े वर्ग को न्याय दिलाया है। अब नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार होगी तो जिनका हक मारा गया था उनको उनकी नौकरी मिल जाएगी। हमें कोर्ट और संविधान पर पूरा भरोसा है कि लोगों को उनके अधिकार मिलेंगे। यह हर एक व्यक्ति की जीत है, पूरे राज्य की जीत है। साबित होता है कि उम्मीद अभी बची है।
4.10 लाख अभ्यर्थियों ने शिक्षक बनने के लिए किया था आवेदन
69 हजार शिक्षकों को सरकार ने दिसंबर 2018 में भर्ती प्रक्रिया को पूरी करते हुए जनवरी 2019 में नियुक्ति दे दी थी। हालांकि, शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट आने के बाद से ही विवाद खड़ा हो गया। अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए 19 हजार पदों के आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। आरोप था कि रिक्रूटमेंट के दौरान ओबीसी और अनुसूचित जाति आरक्षण को कम कर दिया गया। डिटेल में यह खबर पढ़ें…
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