उत्तर प्रदेश ने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत करने की मांग की है: अरविंद पनगढ़िया

Published : Jun 04, 2025, 07:37 PM IST
Arvind Panagariya

सार

उत्तर प्रदेश ने 16वें वित्त आयोग से केंद्रीय करों में अपनी हिस्सेदारी 41% से बढ़ाकर 50% करने की मांग की है। इसके साथ ही विशेष विकास योजनाओं के लिए स्पेशल फंड की भी मांग रखी गई है।

4 जून, बुधवार। 16 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने बुधवार को आयोग के सदस्यों के साथ एक पत्रकार वार्ता की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई बैठक के बारे में जानकारी दी। वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बैठक में सीएम योगी ने राज्य सरकार की मांगों को लेकर आयोग को मांग पत्र सौंपा है, जिसमें केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी को 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की गई है। साथ ही उत्तर प्रदेश ने विशेष विकास योजनाओं के लिए स्पेशल फंड डीडीए दिए जाने की मांग भी उठाई है।

वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बैठक के दौरान प्रदेश सरकार ने उत्तर के विकास और सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्यौरा पेश किया, जिसकी आयोग ने सराहना की। उत्तर प्रदेश की प्रमुख मांगों के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने इनकम डिस्टेंस क्राइटेरिया 45 प्रतिशत, भौगोलिक क्षेत्रफल 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत, जनसंख्या 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 22.5 प्रतिशत, जनसांख्यिकीय प्रदर्शन 12.5 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत, वन 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत, कर संग्रहण प्रयास 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाने का प्रस्ताव आयोग को दिया गया है।

15वें वित्त आयोग की सिफारिशें इस प्रकार थीं वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि वित्त आयोग का मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच करों के बंटवारे का प्रस्ताव तैयार करना है, जिसे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने कहा कि क्षैतिज वितरण के संदर्भ में 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें इस प्रकार रही हैं- जनसंख्या 15 प्रतिशत, क्षेत्रफल 15 प्रतिशत, वन 10 प्रतिशत, कर संग्रहण प्रयास 2.5 प्रतिशत और जनसांख्यिकीय प्रदर्शन 12.5 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग में सबसे अधिक 45 प्रतिशत इनकम डिस्टेंस क्राइटेरिया को दिया गया था।

जीएसडीपी के अनुपात में है प्रदेश का कर संग्रह वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश बहुत ही अच्छी तरह से संचालित राज्य है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का कर संग्रह जीएसडीपी के अनुपात में है, जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि यूपी का राजकोषीय घाटा सामान्य सीमा के भीतर है, इसका ऋण-से-जीडीपी अनुपात भी प्रबंधनीय स्तरों के भीतर है। वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि पिछले वित्त आयोग ने राज्यों को 41 फीसदी और केंद्र सरकार को 59 फीसदी हस्तांतरित किया था। यह कर राजस्व का वर्तमान विभाजन है।

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