अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले मुख्य पुजारी का निधन, मोदी-योगी ने जताया शोक

Published : Jun 22, 2024, 04:17 PM ISTUpdated : Jun 22, 2024, 04:33 PM IST
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सार

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन हो गया। 86 साल की उम्र में उन्होंने  शनिवार सुबह अंतिम सांस ली। निधन पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी ने गहरा दुख जताया है।

अयोध्या. रामनगरी अयोध्या के श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन हो गया। 86 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जाता है कि आचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। लेकिन शनिवार सुबह वह दुनिया को अलविदा कह गए। संत के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त किया है।

काशी के प्रकांड विद्वान थे आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित

संत आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए यूपी के सीएम योगी ने एक्स पर लिखा-काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी का गोलोकगमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके शिष्यों और अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

ॐ शांति!….

आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के जाने पर पीएम मोदी भी दुखी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुख जताते हुए लिखा-देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला। दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे। काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।

मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा अंतिम संस्कार

बता दें कि आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित वाराणसी के विख्यात और प्रतिष्ठित विद्वानों में गिने जाने वाले संत थे। उन्होंने विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण कराया है। दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के थे। लेकिन वह काफी समय से वाराणसी में रहते थे। उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।

 

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