
Anuj Chaudhary controversial statement: होली (Holi) और शुक्रवार की नमाज (Jumma Namaz) को लेकर संभल (Sambhal) के एक पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी (Anuj Chaudhary) के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को होली के रंगों से परेशानी है, तो उसे घर के अंदर रहना चाहिए। यूपी पुलिस के अधिकारी के बयान ने एक नई विवादित बहस को जन्म दे दिया है। पुलिस अधिकारी के बयान पर विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) ने इसे सांप्रदायिक सोच करार देते हुए पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
संभल कोतवाली पुलिस स्टेशन में होली और रमज़ान (Ramzan) के मद्देनजर शांति समिति की बैठक आयोजित की गई थी। इस दौरान पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी ने कहा कि होली साल में एक बार आती है जबकि जुमे की नमाज 52 बार होती है। अगर किसी को होली के रंगों से दिक्कत है तो उसे घर में रहना चाहिए। जो बाहर आएंगे, उन्हें खुले दिल से त्योहार मनाने की सोच रखनी चाहिए। त्योहारों को मिलकर मनाने की परंपरा रही है। जब मुसलमान ईद का इंतजार करते हैं तो हिंदू होली का। दोनों समुदायों को एक-दूसरे के त्योहारों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
संभल के पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी के बयान के बाद उत्तर प्रदेश में एक नई बहस छिड़ गई है। विपक्ष ने योगी सरकार का एजेंडा चलाने का आरोप पुलिस अधिकारियों पर लगाया है। समाजवादी पार्टी (SP) के प्रवक्ता शरवेंद्र विक्रम सिंह ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अधिकारियों को BJP एजेंट नहीं बनना चाहिए। वे सिर्फ मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं। इस तरह के बयानों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
कांग्रेस (Congress) के मीडिया कमेटी के उपाध्यक्ष मनीष हिंदवी ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एक अधिकारी को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए, तभी प्रशासन सही तरीके से काम कर सकता है। अगर किसी धर्म के लोग होली के रंगों से असहज महसूस कर रहे हैं, तो प्रशासन का कर्तव्य है कि वह सबको सुरक्षित माहौल दे। होली और नमाज दोनों शांति से होने चाहिए। ऐसे बयान देना राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है, प्रशासनिक अधिकारी को ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।
संभल पहले भी साम्प्रदायिक तनाव का गवाह बन चुका है। 24 नवंबर 2023 को कोट गरवी इलाके (Kot Garvi) में हिंसा भड़क गई थी। मुगलकालीन जामा मस्जिद (Jama Masjid) के सर्वे को लेकर हुए प्रदर्शन में 4 लोगों की मौत हो गई थी। प्रशासन की लापरवाही पर तब भी सवाल उठे थे।
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