
मौनी अमावस्या की रात प्रयागराद में संगम नोज पर भगदड़ मचने से कम से कम 12 लोगों की मौत की आशंका है। हालांकि मृतकों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इस घटना में कई लोग घायल भी हुए। घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं को नोज संगम पर न जाने की अपील की है। उन्होंने लोगों से कहा कि वो यहां पहुंचने की कोशिश न करें और जिस घाट पर हैं वहींं स्नान करें। बता दें कि कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के प्रथम स्नान के साथ हुई थी। इसके अगले दिन, 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर कुंभ का दूसरा स्नान हुआ, जो अखाड़ों के लिए पहला अमृत स्नान था। आइए आपको बताते हैं कि आखिर संगम नोज क्या है जहां पर स्नान करने के लिए लोगों की आज भीड़ जमा हुई।
संगम नोज वह पवित्र स्थान है, जहां गंगा और यमुना नदियों का मिलन होता है। यही कारण है कि ये पवित्र स्थल मेले में आए लोगों को ज्यादा आकर्षित करता है। यहां गंगा का पानी हल्का मटमैला तो यमुना का पानी हल्का नीला दिखाई देता है, और यहीं पर यमुना नदी समाप्त होकर गंगा में विलीन हो जाती है। इस जगह को संगम नोज इसलिए कहते हैं क्यूंकि यहां नदियों का संगम नाक के आकार का कोण बनाता है। मान्यता है कि संगम नोज पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि हर श्रद्धालु संगम पहुंचकर स्नान करना चाहता है।
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कुंभ मेले के दौरान अमृत स्नान के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। संगम घाट पर अत्यधिक भीड़ न हो, इसके लिए प्रशासन श्रद्धालुओं को नजदीकी घाटों पर ही रोकने का प्रयास करता है। आम दिनों में श्रद्धालु अरैल घाट से नाव के जरिए संगम नोज पहुंचकर स्नान करते हैं, लेकिन अमृत स्नान के दिन नावों की आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी जाती है। इससे श्रद्धालुओं को संगम नोज तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
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