
लखनऊ। उत्तर प्रदेश को विकसित, समर्थ और सक्षम बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार लगातार प्रयासरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने डाटा आधारित गवर्नेंस और डिजिटल इनोवेशन को प्राथमिकता देते हुए प्रशासनिक पारदर्शिता की नई नींव रखी है। आज उत्तर प्रदेश स्मार्ट गवर्नेंस और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के नए युग में प्रवेश कर चुका है, जहां भविष्य की तकनीकें — जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)- शासन को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और जनकेन्द्रित बना रही हैं।
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट पुलिसिंग, मेडिकल इनोवेशन, कृषि सुधार (Agricultural Reforms) और शिक्षा सुधार (Educational Reforms) जैसे क्षेत्रों में तकनीक का व्यापक उपयोग हो रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल उपकरणों की मदद से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि समाज के अंतिम पायदान तक हर योजना का लाभ तेजी से और बिना भेदभाव के पहुंचे।
डाटा आधारित निर्णयों ने सरकारी कार्यप्रणाली को पारदर्शी, तेज, और जवाबदेह (Accountable) बनाया है। नागरिकों को योजनाओं का लाभ सीधे और समय पर मिल रहा है, जिससे शासन में जनता का भरोसा मजबूत हुआ है।
राज्य सरकार की स्मार्ट गवर्नेंस पहल ने उत्तर प्रदेश को देशभर में एक डिजिटल गवर्नेंस मॉडल के रूप में स्थापित किया है। सरकारी विभागों में डिजिटल फाइल ट्रैकिंग, ऑनलाइन मॉनिटरिंग और डेटा-आधारित निर्णय जैसी प्रक्रियाओं से प्रशासनिक दक्षता में बड़ा सुधार हुआ है। इन सुधारों ने ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों तक सेवाओं की पहुंच को आसान बनाया है। अब हर नागरिक को सरकारी सेवाओं की सुविधा डिजिटल माध्यम से मिल रही है, जिससे उत्तर प्रदेश ई-गवर्नेंस का रोल मॉडल बन चुका है।
सरकार ने योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन और निगरानी के लिए आधुनिक कम्युनिकेशन टूल्स अपनाए हैं। एसएमएस, व्हाट्सऐप और लाइव डैशबोर्ड के इस्तेमाल से स्कूलों की परफॉर्मेंस, योजनाओं की स्थिति और शिकायत निस्तारण की रियल-टाइम मॉनिटरिंग संभव हुई है।
इन माध्यमों से शैक्षिक गैप की पहचान, सेवाओं की गुणवत्ता जांच और शिकायतों का त्वरित समाधान संभव हुआ है। अब अधिकारी तय समयसीमा में लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अधिक जवाबदेह और प्रभावी बने हैं।
राज्य सरकार ने मिड-डे मील योजना को पारदर्शी बनाने के लिए कई डिजिटल नवाचार किए हैं। अब स्कूलों में भोजन वितरण और उपस्थिति सत्यापन के लिए क्यूआर कोड, गूगल शीट्स, यूडीआईएससी, टेलीग्राफ, एक्सेल और गूगल फॉर्म्स जैसे डिजिटल टूल्स का उपयोग किया जा रहा है।
इन तकनीकों से भोजन की गुणवत्ता, वितरण प्रक्रिया, और उपस्थिति का डेटा तुरंत उपलब्ध होता है, जिससे अनियमितताओं पर प्रभावी नियंत्रण हुआ है। इन प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया है कि हर बच्चे को समय पर और सही लाभ मिले तथा सरकारी योजनाओं में जनता का विश्वास और बढ़े।
योगी सरकार की यह पहल न केवल प्रशासन को तकनीकी रूप से मजबूत बना रही है बल्कि “डिजिटल इंडिया” मिशन को भी नई गति दे रही है। स्मार्ट गवर्नेंस, डेटा ट्रांसपेरेंसी और टेक्नोलॉजी इनोवेशन के जरिए उत्तर प्रदेश अब भविष्य के डिजिटल राज्य (Future Ready State) की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
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