
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) सेक्टर को मजबूत करने के लिए अनुपूरक बजट में स्पष्ट और ठोस प्रावधान किए हैं। सरकार का मानना है कि एमएसएमई प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इसके सशक्त होने से निवेश और रोजगार दोनों को गति मिलेगी।
लघु उद्योग भारती, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रविन्द्र सिंह ने कहा कि निवेश अनुकूल नीतियों और नए बजटीय प्रावधानों से एमएसएमई को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। यह कदम उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में अहम है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने उद्यमियों को सुरक्षित और भरोसेमंद वातावरण देने का काम किया है।
एमएसएमई से जुड़े प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए जिला उद्योग केंद्र के अधिष्ठान व्यय हेतु 1.5 करोड़ रुपये और उद्योग निदेशालय के अधिष्ठान व्यय के लिए भी 1.5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे जिलों में उद्यमियों को समय पर मार्गदर्शन, स्वीकृति और योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि मजबूत कार्यालयी व्यवस्था से ही ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जमीन पर दिखेगा।
औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2022 के अंतर्गत 823.43 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि प्रस्तावित की गई है। इसका बड़ा हिस्सा एमएसएमई इकाइयों को पूंजी निवेश, सब्सिडी, ब्याज अनुदान और रोजगार सृजन से जुड़े प्रोत्साहन के रूप में मिलेगा। इसके साथ ही औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2017 के लिए 300 करोड़ रुपये और अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास नीति 2012 के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे छोटे और मध्यम उद्योगों को जरूरी बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी।
एमएसएमई सेक्टर को बड़े निवेश से जोड़ने के लिए एफडीआई और फॉर्च्यून-500 कंपनियों की निवेश प्रोत्साहन नीति-2023 के तहत 371.69 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे एमएसएमई इकाइयों को सप्लाई चेन, वेंडर डेवलपमेंट और निर्यात के नए अवसर मिलेंगे।
योगी सरकार के ठोस बजटीय समर्थन के चलते उत्तर प्रदेश तेजी से एमएसएमई हब के रूप में उभर रहा है। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 96 लाख एमएसएमई इकाइयां कार्यरत हैं और आने वाले समय में लाखों नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
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