
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘सॉइल टू सिल्क’ विजन को धरातल पर उतारने के लिए उत्तर प्रदेश का रेशम निदेशालय अपने कार्यालय परिसर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का निर्माण करा रहा है। करीब 75 लाख रुपये की लागत से बन रहा यह सेंटर तेज़ी से तैयार किया जा रहा है और इसका निर्माण कार्य इस माह के अंत तक पूरा होने की संभावना है। यह पहल प्रदेश के पारंपरिक रेशम उद्योग को नई पहचान देने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी।
रेशम निदेशालय में बन रहा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस उत्तर प्रदेश के रेशम उद्योग को नई दिशा देगा। इस सेंटर में रेशम उत्पादन की पूरी प्रक्रिया को ‘सॉइल टू सिल्क’ के रूप में जीवंत तरीके से प्रदर्शित किया जाएगा। यहां किसानों से लेकर कारीगरों तक की पूरी यात्रा दिखाई जाएगी, जिससे लोग रेशम के उत्पादन और प्रसंस्करण को करीब से समझ सकेंगे।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में यह बताया जाएगा कि किस प्रकार मलबरी और टसर सिल्क के लिए रेशम के कीड़ों को शहतूत और अर्जुन के पेड़ों पर पाला जाता है। इसके बाद कोकून से रेशम निकालने, धागा बनाने और फिर हथकरघा व पॉवरलूम पर रेशम की कताई की पूरी प्रक्रिया को प्रदर्शित किया जाएगा। यह सेंटर रेशम उत्पादन से जुड़ी पारंपरिक और आधुनिक दोनों तकनीकों की जानकारी देगा।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में प्रदेश के बेहतरीन रेशम उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था भी की जा रही है। अभी तक ये उत्पाद अधिकतर एक्सपोर्ट के माध्यम से विदेशों में भेजे जाते थे, लेकिन अब स्थानीय और घरेलू बाजार में भी ये उपलब्ध होंगे। इससे कारीगरों को बेहतर बाजार और उचित मूल्य मिलने में मदद मिलेगी।
रेशम निदेशालय के असिस्टेंट डायरेक्टर नीरेंद्र कुमार और आशुतोष ने बताया कि यहां प्रदेश के उत्कृष्ट सिल्क उत्पादों का आकर्षक डिस्प्ले किया जाएगा। इसमें शामिल होंगे-
साथ ही एक सेल्स सेंटर भी बनाया जा रहा है, जहां पर्यटक और खरीदार सीधे स्थानीय कारीगरों से उत्पाद खरीद सकेंगे। इसके अलावा एक चेंजिंग रूम का निर्माण भी किया जा रहा है।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को आधुनिक तकनीक से लैस किया जाएगा। यहां इंटरएक्टिव डिस्प्ले, वर्कशॉप और ट्रेनिंग सेंटर की सुविधा उपलब्ध होगी। किसानों को रेशम कीट पालन से लेकर प्रोसेसिंग तक की वैज्ञानिक जानकारी दी जाएगी, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता और आय दोनों में वृद्धि हो सके।
हालांकि उत्तर प्रदेश रेशम उत्पादन के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है, लेकिन मार्केटिंग की कमी, स्थानीय चुनौतियां और जागरूकता के अभाव के कारण कारीगरों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री रेशम विकास योजना और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
इस सेंटर में पर्यटकों के लिए गाइडेड टूर और वर्कशॉप भी आयोजित की जाएंगी, जिससे युवाओं में रेशम उद्योग के प्रति रुचि बढ़ेगी। यह पहल न केवल रोजगार सृजन में मदद करेगी, बल्कि प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पारंपरिक उद्यम और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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