अब कठिन नहीं, आसान होगी केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा, जानिए कैसे?

Published : Sep 03, 2025, 01:42 PM IST
kedarnath hemkund sahib ropeway project

सार

उत्तराखंड में केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को मंजूरी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और एनएचएलएमएल के बीच हुआ समझौता। हजारों करोड़ की लागत से बनने वाली यह परियोजना श्रद्धालुओं को सुगम यात्रा और पर्यटन को नई उड़ान देगी।

उत्तराखंड की धार्मिक आस्था और पर्यटन को नई उड़ान देने वाला बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में मंगलवार को सचिवालय में राज्य सरकार और नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) के बीच ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते के तहत केदारनाथ और हेमकुंड साहिब तक अत्याधुनिक रोपवे का निर्माण किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम और सुरक्षित बन सकेगी।

समझौते में हिस्सेदारी और निवेश

इस साझेदारी में एनएचएलएमएल की 51 प्रतिशत और राज्य सरकार की 49 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी होगी। राजस्व साझेदारी के तहत 90 प्रतिशत राशि उत्तराखंड के पर्यटन, परिवहन और गतिशीलता के क्षेत्र में निवेश की जाएगी।

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6800 करोड़ से अधिक की लागत से बनेगा रोपवे

मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि पर्वतमाला परियोजना के अंतर्गत सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबा रोपवे लगभग 4100 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा। वहीं, गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब के बीच 12.4 किलोमीटर लंबा रोपवे 2700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत में तैयार होगा।

श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए वरदान

सीएम धामी ने कहा कि ये परियोजनाएं न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान देंगी, बल्कि पर्यटन, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण में भी नए अवसर पैदा करेंगी। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इसे स्थानीय आर्थिकी और रोजगार बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम बताया।

मोदी सरकार की कनेक्टिविटी विजन का हिस्सा

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड में रेल, रोड और रोपवे कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ रही है। चारधाम ऑलवेदर रोड, दिल्ली-देहरादून एलिवेटेड रोड, सितारगंज-टनकपुर मोटर मार्ग, पौंटा साहिब-देहरादून मार्ग जैसी परियोजनाएं इसी दिशा की मिसाल हैं।

केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा ने इसे राज्य के लिए ऐतिहासिक दिन बताया और कहा कि इन रोपवे परियोजनाओं से श्रद्धालुओं को बड़ी सुविधा मिलेगी। अधिकारियों और विशेषज्ञों की मौजूदगी में हुए इस समझौते को उत्तराखंड के पर्यटन और धार्मिक यात्रा के लिए नए युग की शुरुआत माना जा रहा है।

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