Tamil Nadu Result: 10 साल बाद डीएमके की सत्ता में वापसी, जयललिता की पार्टी सत्ता बचाने में नाकाम

Published : May 02, 2021, 06:51 AM ISTUpdated : May 03, 2021, 07:29 AM IST
Tamil Nadu Result: 10 साल बाद डीएमके की सत्ता में वापसी, जयललिता की पार्टी सत्ता बचाने में नाकाम

सार

तमिलनाडु में 2 मई यानी रविवार को आए विधानसभा चुनाव नतीजों में डीएमके ने बड़ी जीत हासिल की। डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने 159 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, एआईएडीएमके-भाजपा गठबंधन को 75 सीटोंं पर संतोष करना पड़ा। यहां 1 चरण में 234 सीटों पर 6 अप्रैल को मतदान हुआ था। 

चेन्नई. तमिलनाडु में 2 मई यानी रविवार को आए विधानसभा चुनाव नतीजों में डीएमके ने बड़ी जीत हासिल की। डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने 159 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, एआईएडीएमके-भाजपा गठबंधन को 75 सीटोंं पर संतोष करना पड़ा। यहां 1 चरण में 234 सीटों पर 6 अप्रैल को मतदान हुआ था। 

तमिलनाडु में अभी एआईएडीएमके की सरकार थी। लेकिन जयललिता की पार्टी सत्ता बचाने में नाकाम साबित हुई। इस बार भाजपा ने एआईएडीएमके के साथ चुनाव लड़ा था। उधर, कांग्रेस और डीएमके ने 2019 चुनाव का अपना गठबंधन आगे बढ़ाया। 2016 में दोनों पार्टियों ने अलग अलग चुनाव लड़ा था। डीएमके के साथ इस बार चुनाव में सीपीआई, सीपीआई एम, विदुतलाई चिरुतागल कच्छी, आईयूएमएल और कोंगुनाडु मुन्नेत्र कड़गम भी थीं। जबकि कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मैय्यम भी चुनाव मैदान में थी। 

तमिलनाडु में बीते पांच दशकों से यहां की राजनीति में दो पार्टियों डीएमके और एआईडीएमके का दबदबा रहा है। लेकिन यह पहला मौका था जब दोनों पार्टियां अपने प्रमुख नेता जयललिता और करुणानिधि के बिना चुनाव प्रचार में उतर रही हैं। जयललिता की मौत 2016 में हुई थी, जबकि करुणानिधि का निधन 2018 में हुआ था।

क्या रहे चुनावी मुद्दे?
चुनाव में विपक्ष सत्ताधारी एआईएडीएमके के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रही है। वहीं, चुनाव में जय ललिता के निधन का मुद्दा, पेट्रोल डीजल की कीमतों में कटौती को डीएमके मुद्दा बना रही है। वहीं, सत्ताधारी एआईएडीएमके की सहयोगी भाजपा ने चेन्नई से सेलम एक्सप्रेस वे को आगे बढ़ाने का वादा किया है। इस पर अदालत ने रोक लगा रखी है। इतना ही नहीं भाजपा डीएमके और कांग्रेस को हिंदूविरोधी भी बता रही है। 

2016 के नतीजे
2016 के चुनाव में एआईएडीएमके ने जयललिता के नेतृत्व में 136 सीटें जीती थीं। वहीं डीएमके को 89, कांग्रेस को 8 और आईयूएमएल को एक सीट मिली थी। यहां भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। 

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