Google ने एंड्रॉइड यूजर्स को दी चेतावनी, खतरे से बचने के लिए करना होगा क्रोम ब्राउजर को अपडेट

गूगल (Google) ने एंड्रॉइड स्मार्टफोन यूजर्स को जल्द से जल्द क्रोम ब्राउजर (Chrome Browser) अपडेट कर लेने को कहा है। इसकी वजह यह है कि गूगल ने लेटेस्ट अपडेट में गूगल क्रोम का एक बग फिक्स किया है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। 
 

टेक डेस्क। गूगल (Google) ने एंड्रॉइड स्मार्टफोन यूजर्स को जल्द से जल्द क्रोम ब्राउजर (Chrome Browser) अपडेट कर लेने को कहा है। इसकी वजह यह है कि गूगल ने लेटेस्ट अपडेट में गूगल क्रोम का एक बग फिक्स किया है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलाव आ सकता है और फोन की कार्यप्रणाली पर इसका असर पड़ सकता है। यह एक तरह का मालवेयर है। गूगल को जैसे ही किसी बग का पता अपने सिस्टम में चलता है, वह यूजर्स को अलर्ट कर देता है। एक बार फिर गूगल ने एंड्रॉइड यूजर्स को वॉर्निंग दी है और गूगल क्रोम ब्राउजर अपडेट करने को कहा है। गूगल की ओर से ब्राउजर में जीरो-डे बग को पैच किया गया है। यह एक जरूरी अपडेट है।

क्या कहा गूगल ने
सर्च इंजन कंपनी गूगल ने कहा है कि क्रोम ब्राउजर में मौजूद बग के जरिए यूजर्स के सिस्टम को नुकसान पहुंचाया जा सकता है। ZDNet की रिपोर्ट के मुताबिक, बग के जरिए अटैकर्स को क्रोम सिक्युरिटी सैंडबॉक्स बाइपास करने का ऑप्शन मिल गया था। ऐसा करने के बाद अटैकर्स ऑपरेटिंग सिस्टम में कोड रन कर सकते थे। इसका पता यूजर्स को नहीं लग सकता है।

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विंडोज (Windows) में भी मिला था यही बग
गूगल ने क्रोम फॉर एंड्रॉइड ब्राउजर के लिए सिक्युरिटी अपडेट्स जारी किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रोम फॉर एंड्रॉइड वर्जन 86.0.4240.185 रिलीज कर दिया गया है। इसमें CVE-2020-16010 बग को फिक्स कर दिया गया है। पिछले महीने भी गूगल के सिक्युरिटी रिसर्चर्स ने माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम (Microsoft Windows Operating System) में भी एक जीरो-डे खामी का पता लगाया था।

चोरी हो सकता है पर्सनल डेटा
प्रोजेक्ट जीरो (Project Zero) के टेक्निकल हेड बेन हॉक्स (Ben Hawkes) ने कहा कि इस खामी को विंडोज यूजर्स (Windows Users) के लिए भी 10 नवंबर तक फिक्स कर दिया जाएगा। बता दें कि जीरो-डे से जुड़ी खामी की मदद से अटैकर्स स्मार्टफोन के सिस्टम की सेटिंग्स में बदलाव कर सकते हैं। इसका मतलब है कि बिना यूजर को पता चले उसका पर्सनल डेटा चोरी या शेयर किया जा सकता है। इसके अलावा, सिस्टम में अगर बैंकिंग डिटेल्स सेव किए गए हों, तो भी चुराए जा सकते हैं और अकाउंट तक खाली कर दिया जा सकता है।   
 

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