2019 में स्मार्ट फोन की मांग ने रखा मंदी को दूर, 2020 में 14 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी ग्रोथ

सरकार एपल और वैश्विक ख्याति वाले अन्य ब्रांडों को भारत में हैंडसेट बनाने के लिए प्रोत्साहित करने की नीति को बढ़ावा दे रही है। सरकार चाहती है कि ये कंपनियां भारत को अपने विनिर्माण और निर्यात कारोबार को नए केंद्र के रूप में विकसित करें। इससे भी भारत में इस बाजार के मजबूत होने की उम्मीद है।

नई दिल्ली.  देश में मांग में गिरावट के दौर में स्मार्ट फोन बाजार कार और बिस्कुट बाजार से ‘स्मार्ट’ साबित हुआ। नए नए उत्पादों फीचर के साथ पेश किए गए उत्पादों के साथ शहरी और ग्रामीण बाजारों में 2019 के दौरान स्मार्ट फोन की मांग तेज बनी रही। विश्लेषकों का अनुमान है कि वर्ष 2019 में इस बाजार की वृद्धि 9 प्रतिशत के आस पास रही है और अगले साल यह 12-14 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। बाजार के जानकार लोगों का अनुमान है कि नव वर्ष 2020 में भी स्मार्ट मोबाइल फोन हैंडसेट बाजार में तेजी बनी रहेगी।

स्मार्ट फोन आज बैंक से लेनदेन, सामाजिक संवाद-संपर्क, प्रमाणन, घरेलू खरीद से ले कर रास्ता दिखाने तक के लिए जरूरी साधन बनते जा रहे हैं। सरकार एपल और वैश्विक ख्याति वाले अन्य ब्रांडों को भारत में हैंडसेट बनाने के लिए प्रोत्साहित करने की नीति को बढ़ावा दे रही है। सरकार चाहती है कि ये कंपनियां भारत को अपने विनिर्माण और निर्यात कारोबार को नए केंद्र के रूप में विकसित करें। इससे भी भारत में इस बाजार के मजबूत होने की उम्मीद है।

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2020 में बढ़ेगी बिक्री

विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत में नए वर्ष में स्मार्ट फोन की बिक्री दस प्रतिशत के करीब तक रहेगी। बाजार विश्लेषक काउंटरप्वाइंट रिसर्च एसोसिएट के निदेशक तरुण पाठक का अनुमान है कि 2019 में स्मार्ट फोन की बिक्री करीब 9 प्रतिशत बढ़ी है। 2020 में वृद्धि 12-14 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।उनका अनुमान है कि 2022 तक भारत में 70 करोड़ लोगों के पास स्मार्ट फोन होंगे और अगले चार साल में ऐसे हैंड सेट की सालाना बिक्री एक अरब हैंडसेट तक जा सकती है।

भारत में 80 प्रतिशत लोग खरीदते हैं सस्ते फोन

एक मोटी गणना के अनुसार वर्ष 2019 की पहली तीन तिमाहियों में 11.5 करोड़ स्मार्टफोन बिके। बाजार में शियाओमी, सैमसंग, वीवो, ओप्पो और रीयलमी जैसे नाम छाए रहे। बाजार में 5,000-10,000 रुपये की जगह 10,000-15,000 रुपये के बीच के यंत्रों की ओर झुकाव बढ़ता दिखा। इंटरनेशनल डाटा कार्पोरेशन (आईडीसी) के अनुसार भारत में 80 प्रतिशत लोग 200 डालर यानी 15,000 रुपये से नीचे के हैंडसेट खरीदते है। लेकिन 21-22 हजार रूपए से 35,000 हजार रुपये हैंडसेट के बाजार में कई गुना उछाल दिखा। इस बाजार में शियाओमी ,ओपो और वनप्लस जैसे ब्रांडों दबदबा रहा।

ये है सरकार की नई नीति-

सरकार ने वर्ष के दौरान ने एक नयी इलेक्ट्रानिक विनिर्माण नीति पेश की। वह वैश्विक विनिर्माताओं को भारत में कारखाना लगा कर यहां से निर्यात को प्रोत्साहित करना चाहती है। इस नीति में 2025 तक भारत में सालाना एक अरब मोबाइल फोन के विनिर्माण का लक्ष्य रखा गया है। नयी विनिर्माण इकाइयों पर कार्पोरेट कर की दर 22% से घटा कर 15 प्रतिशत करने के सरकार के निर्णय से भी वैश्विक कंपनियों देश में आने की उम्मीद बढ़ी है।

निवेश के लिए वातावरण और अनुकूल बनाने के कदमों और काफी बातचीत के बाद एपल ने आईफोन एक्सआर भारत में बनाना शुरू किया है। इसी तरह वर्ष के दौरान सालकॉम्प ने भारत में 2000 करोड़ रुपये की निवेश की घोषणा की और नोएडा एसईजेड में नोकिया के कारखाने के अधिग्रहण का करार किया।

इस नई योजना से मिलेगा 10 हजार लोगों को रोजगार

सालकॉम्प आईफोन के लिए चार्जर का विनिर्माण करती है। उसकी नोएडा इकाई के मार्च 2020 तक चालू हो जाने की उम्मीद है और वहां 10,000 लोगों को रोजगार मिल सकता है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि 5जी नेटवर्क सेवाओं के शुरू होने बाद और अधिक उन्नत स्मार्ट फोन की मांग बढ़ेगी।

टेक एआरसी के संस्थापक और मुख्य विश्लेषक फैसल कावूसा ने कहा कि भारत में ‘5जी फोन सम्मान जनक संख्या 2020 के उत्तरार्ध तक ही दिख सकती है।’’ उनकी राय में भारत में ग्राहकों को 10-25 हजार रुपये के बीच के अपनी पहुंच के अंदर आने वाले 5जी स्मार्ट फोन के लिए सात से आठ तिमाही का इंतजार करना पड़ सकता है।

(ये खबर पीटीआई/भाषा एजेंसी की है एशियानेट न्यूज हिंदी ने सिर्फ हैडलाइन में बदलाव किया है।)

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