इंटरनेट शटडाउन की वजह से हो रहा है करोड़ों का नुकसान, COAI परेशान

देश के कई शहरों में इंटरनेट शटडाउन होने की वजह से COAI परेशान है COAI ने इसके लिए सरकार को खत लिखा है
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 27, 2019 5:34 AM IST / Updated: Dec 27 2019, 11:08 AM IST

नई दिल्ली: CAA और NRC विरोध को लेकर देश के कई शहरों में इंटरनेट शटडाउन होने की वजह से टेलिकॉम कंपनियों को रोजाना करोड़ों का नुकसान हो रहा है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार को इस बारे में खत लिखा है। COAI ने सरकार को खत लिखकर कहा है कि इंटरनेट बंद होने से टेलिकॉम कंपनियों को हर घंटे 2.5 करोड़ रुपये तक का नुकसान होता है। COAI के इस खत का जबाब फिलहाल सरकार की तरफ से नहीं आया है। बता दें कि 27 दिसंबर को भी यूपी के कई बड़े शहरों में इंटरनेट सर्विस को बंद कर दिया गया है सोशल मीडिया पर फैल रहे अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने UP के कई शहरों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी है।

हिंसक प्रदर्शनों के डर से बंद इंटरनेट

बता दें कि जब किसी इलाके में इंटरनेट पर पाबंदी लगायी जाती है तो उससे आर्थिक तौर पर काफी नुकसान उठाना पड़ता है। COAI के महासचिव राजन मैथ्यू के अनुसार, चाहे राजस्थान में पेपर लीक होने का डर हो या फिर जम्मू कश्मीर में हिंसा फैलने का डर, सरकार ऐसी सभी जगह 'इंटरनेट बंद करने की पॉलिसी' लागू कर रही है।

राजन के अनुसार, सरकार को देश के सभी हिस्सों में इंटरनेट बंद करने की पॉलिसी लागू करने की बजाय इंटरनेट बंद करने से पहले इसके फायदे और इसकी लागत पर भी विचार करना चाहिए। COAI के महासचिव का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब जम्मू कश्मीर में और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शनों के डर से इंटरनेट पर पाबंदी जारी है।

2016 में 133 इंटरनेट शटडाउन 

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में 133 दिनों के लिए देशभर में इंटरनेट शटडाउन हुआ था। वहीं, साल 2017 में 100 दिनों के लिए, जबकि 2018 में 136 दिनों के लिए इंटरनेट शटडाउन हुआ है। वहीं, इस साल अब तक 104 दिनों के लिए इंटरनेट सेवा बंद की जा चुकी है। सरकार सोशल मीडिया पर अफवाह फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सेवा को बंद करती है, ताकि कोई भी अफवाह तेजी से न फैलें और कानून व्यवस्था बरकरार रहे। इसकी वजह से टेलिकॉम कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

(प्रतीकात्मक फोटो)

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