कैंब्रिज एनालिटिका स्कैंडल : 6000 करोड़ देकर निपटारा करेगी Meta, हैरान करने वाला है पूरा मामला

Published : Dec 25, 2022, 03:04 PM IST
कैंब्रिज एनालिटिका स्कैंडल : 6000 करोड़ देकर निपटारा करेगी Meta, हैरान करने वाला है पूरा मामला

सार

यह कितना गंभीर मामला है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेटा इसे निपटाने के लिए 725 मिलियन डॉलर यानी करीब 6,000 करोड़ रुपए देने को तैयार हो गई है। हालांकि, कंपनी ने इस सेटेलमेंट में खुद की गलती नहीं मानी है।

टेक डेस्क : दुनिया में इन दिनों डाटा प्राइवेसी (Data Privacy) को लेकर चर्चाओं का दौर तेज है। इस बहस की शुरुआत कैंब्रिज एनालिटिका (Cambridge Analytica) ने की और आज कहा जा रहा है कि मेटा (Meta) जल्द ही इसका सेटलमेंट कर सकती है। फेसबुक (Facebook) पर मालिकाना हक रखने वाली कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक इस केस का जल्द से जल्द निपटारा चाहती है। यही वजह है कि कंपनी केस को निपटाने के लिए 725 मिलियन डॉलर यानी करीब 6,000 करोड़ रुपए देने को तैयार हो गई है। गुरुवार देर रात कोर्ट में हुए सेटलमेंट प्रस्ताव पर सामने आया कि कंपनी इसे जल्द से जल्द खत्म करना चाहती है।

क्या है कैंब्रिज एनालिटिका केस
कैंब्रिज एनालिटिका केस आज से 4 साल पहले 2018 में आया था। इसमें फेसबुक पर यह आरोप लगाया गया कि कंपनी ने थर्ड पार्टी कंपनियों को अपने यूजर्स के पर्सनल डाटा उपलब्ध कराई। इसमें ब्रिटिश पॉलिटिकल कंसल्टिंग कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका भी शामिल थी। इस सेटलमेंट के बाद अमेरिका के डेटा प्राइसवेसी क्लास एक्शन के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा केस सेटलमेंट होगा।

कितने यूजर्स के पर्सनल डेटा पर डाका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भले ही यह मामला 2018 का बताया जा रहा है लेकिन इसके कनेक्शन और भी पहले से जुड़े हुए हैं। इस कंपनी ने फेसबुक पर एक थर्ड पार्टी ऐप की मदद से करीब 8.7 करोड़ यूजर्स के पर्सनल डाटा एक्सेस हासिल की। जिस एप से डाटा हासिल किया, उसमें लोगों से सवाल-जवाब के लिए उनकी साइकोलॉजिकल प्रोफाइलिंग भी की। कंपनी पर यह आरोप लगा कि उसने डेटा को हार्वेस्ट कर पॉलिटिकल प्रचार में इसे यूज किया। लोगों से एक ही पक्ष में मतदान करने को प्रभावित किया गया।

2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भी भूमिका
मामला जब सामने आया तो पता चला कि इस डेटा का इस्तेमाल 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावों में भी किया गया। इसी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत हुई थी। इसके साथ ही कैंब्रिज एनालिटिका पर ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने यानी ब्रेग्जिट के लिए कराए गए जनमत संग्रह को भी प्रभावित करने का आरोप लगाया गया। कैंब्रिज एनालिटिका और फेसबुक के इस स्कैंडल को सामने लाने का काम कैंब्रिज एनालिटिका के ही एम्प्लॉई क्रिस्टोफर वाइली ने किया।

आखिर सेटलमेंट के पीछे की क्या है वजह
अब चुंकि मेटा इसका सेटलमेंट करना चाहती है, लेकिन उसने  सेटलमेंट प्रस्ताव में खुद को बेकसूर बताया है। कंपनी का कहना है कि अपने यूजर्स, कम्युनिटी और शेयर होल्डर्स के हित को ध्यान में रखते हुए वह सेटलमेंट कर रही है। उसका कहना है कि पिछले 3 साल में प्राइवेसी को लेकर उसका नजरिया भी बदला है और इसी वजह से प्राइवेसी प्रोग्राम भी लागू किया गया है।

कैंब्रिज एनालिटिका अभी कहां है
बता दें कि जैसे ही इस स्कैंडल का खुलासा हुआ, दुनियाभर में इंटरनेट प्राइवेसी को लेकर नई बहस छिड़ गई। कैंब्रिज एनालिटिका की खूब आलोचना हुई। बवाल बढ़ने के बाद ब्रिटिश पॉलिटिकल एडवरटाइजिंग कंपनी मई 2018 में बंद कर दी गई। इसकी शुरुआत 2013 में हुआ था।

इसे भी पढ़ें
7 टिप्स जो बढ़ा देंगी आपके फोन की बैटरी, बार-बार चार्ज करने की झंझट से मिलेगा छुटकारा

पॉकेट फ्रेंडली हैं ये स्मार्टवॉच : 2022 में सबसे ज्यादा खरीदे गए, एक से बढ़कर एक ब्रांड

PREV

Recommended Stories

काम की खबरः मोबाइल चोरी हो जाए तो घबराएं नहीं, FIR नहीं-सबसे पहले करें ये काम
Google Gemini से ChatGPT तक.. 2025 में सबसे ज्यादा ट्रेंड्स वाले टॉप-10 AI