
5G vs 6G vs Satellite Internet : एक तरफ शहरों में 5G की रफ्तार बढ़ रही है, दूसरी तरफ 6G की तैयारी चल रही है, जो दुनिया को मेटावर्स (Metaverse) और AI के नए युग में ले जाएगी। इस बीच एलन मस्क के स्टारलिंक (Starlink) जैसे सैटेलाइट इंटरनेट प्लेटफॉर्म उन इलाकों में फास्ट इंटरनेट पहुंचाने की तैयारी में हैं, जहां अभी नेटवर्क भी नहीं पहुंचा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आप 5G, 6G और सैटेलाइट इंटरनेट में असली फर्क जानते हैं? अगर नहीं तो सिर्फ 5 मिनट का समय निकालकर इस आर्टिकल में सब क्लियर कर सकते हैं, वो भी एकदम सिंपल भाषा और बिना किसी टेक्निकल झंझट।
5G यानी '5th Generation Mobile Network'.. यह मोबाइल इंटरनेट की पांचवीं पीढ़ी है, जो 4G से करीब 10 गुना तेज है। 5G भारत में तेजी से रोलआउट हो रहा है और बड़े शहरों में काफी हद तक उपलब्ध है।
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स्पीड- 1Gbps तक
लेटेंसी- सिर्फ 1ms, यानी बहुत तेज रिस्पॉन्स
यूज- वीडियो कॉलिंग, 4K स्ट्रीमिंग, गेमिंग, स्मार्टफोन और IoT डिवाइसेज़
5G किसके लिए है?
6G फिलहाल डेवलप हो रही नेक्स्ट जनरेशन टेक्नोलॉजी है। इसका कमर्शियल रोलआउट 2030 तक शुरू होने की उम्मीद है। यह 5G से भी 100 गुना तेज होगी और AI-बेस्ड नेटवर्क की तरह काम करेगी।
स्पीड- 100 Gbps या उससे भी ज़्यादा
लेटेंसी- 0.1ms से भी कम
टेक्नोलॉजी- ह्यूमन-लेवल AI, XR (Extended Reality), होलोग्राफिक कॉलिंग, स्मार्ट सिटीज
फ्यूचरिस्टिक सिस्टम्स
ऑटोमेटेड इंडस्ट्रीज
VR-AR, Metaverse, टेलीपोर्टेशन सिमुलेशन
सैटेलाइट इंटरनेट एक वायरलेस टेक्नोलॉजी है, जहां डेटा सीधे सैटेलाइट्स के जरिए आपके डिवाइस तक पहुंचता है। इसमें मोबाइल टॉवर्स की जरूरत नहीं होती।
स्पीड- 100 Mbps-250 Mbps
लेटेंसी- 30ms-70ms
कनेक्टिविटी- पहाड़ी इलाकों, गांवों, जंगलों या समुद्र में भी काम करता है
जैसे- Starlink (Elon Musk), Jio Satellite