
Arattai App Privacy: Zoho का Arattai इन दिनों काफी चर्चा में है। इसमें ज्यादातर फीचर्स WhatsApp की तरह ही हैं। जिसकी वजह से इसकी पॉपुलैरिटी काफी ज्यादा बढ़ी है। इस स्वदेशी ऐप को बहुत से यूजर्स तेजी से अपना रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है, क्या Arattai आपकी प्राइवेसी और डेटा सेफ्टी की गारंटी देता है? आइए जानते हैं उन 10 सवालों के जवाब जो ऐप यूज करने से पहले हर यूजर को जरूर जान लेने चाहिए...
फिलहाल सिर्फ वॉयस और वीडियो कॉल्स में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (End-to-End Encryption) है। चैट्स के लिए यह फीचर अभी नहीं है, लेकिन Zoho ने कहा है कि फ्यूचर में पूरी चैट एन्क्रिप्शन रोल आउट होगी।
हां, सभी कॉल्स एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन से सुरक्षित हैं। इसका मतलब है कि सिर्फ कॉल में शामिल लोग ही कॉल कंटेंट देख या सुन सकते हैं।
एन्क्रिप्शन के बिना कोई भी ऐप प्रोवाइडर, हैकर्स या थर्ड पार्टी, आपके मैसेज पढ़ सकती है। इसलिए चैट एन्क्रिप्शन अब बेसिक प्राइवेसी फीचर माना जाता है।
नहीं, Arattai यूजर का डेटा न बेचता है, न शेयर करता है। यह इसे अन्य ग्लोबल ऐप्स से अलग बनाता है जो डेटा का इस्तेमाल एडवरटाइजिंग के लिए करते हैं।
सभी डेटा भारत में ही स्टोर होता है, जिससे इंडियन प्राइवेसी स्टैंडर्ड (Indian privacy standards) और डिजिटल संप्रभुता (sovereignty) का पालन होता है।
Arattai को कॉन्टैक्ट्स, कैमरा, माइक्रोफोन, लोकेशन और स्टोरेज एक्सेस चाहिए। लेकिन यह सिर्फ कोर फंक्शंस के लिए डेटा इस्तेमाल करता है।
बिना चैट एन्क्रिप्शन के सेंसेटिव मैसेज अनऑथराइज्ड एक्सेस के लिए अनसेफ (Vulnerable) हैं। मतलब वॉट्सऐप जैसी सुरक्षा फिलहाल नहीं है।
Zoho रेगुलर तौर से ऐप अपडेट करता है, जिससे सिक्योरिटी इंप्रूवमेंट्स और बग फिक्स (Bug Fixes) आते रहते हैं।
हां, Arattai भारत के प्राइवेसी रेगुलेशंस को फॉलो करता है और लोकल डेटा स्टोरेज के साथ मजबूत तकनीकी और एडमिनिस्ट्रेटिव सेफगार्ड्स देता है।
अभी सिर्फ कॉल्स सेफ हैं। चैट्स के लिए पूरी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन डिप्लॉय होने तक ज्यादा कॉन्फिडेंशियल डेटा भेजना सुरक्षित नहीं है।
जोहो को श्रीधर वेम्बू ने बनाया है। उन्होंने IIT मद्रास से बीटेक और आगे की पढ़ाई न्यू जर्सी के प्रिंस्टोन यूनिवर्सिटी से की। इसके बाद अमेरिका की Qualcomm कंपनी में काम करने लगे। कुछ समय नौकरी करने के बाद, वेम्बू ने अमेरिका और वहां की नौकरी छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया। 1996 में उन्होंने AdventNet कंपनी शुरू की, जिसे 2009 में बदलकर Zoho Corporation नाम दिया। Zoho पर काम की शुरुआत 2002 में एक प्रोजेक्ट के तौर पर हुई थी। श्रीधर वेम्बू की लीडरशिप में Zoho ने सिर्फ बड़े बिजनेस सॉल्यूशंस ही नहीं दिए, बल्कि SaaS इंडस्ट्री में कई देसी ऐप्स और टूल्स भी पेश किया।
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