Elon Musk करने जा रहे ऐसा चमत्कार, जिससे दुनिया देख सकेंगे ब्लाइंड

एलोन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक एक ऐसा उपकरण बना रही है जिससे नेत्रहीन लोग फिर से देख सकेंगे। 'ब्लाइंड साइट' नामक यह उपकरण एक चिप के जरिए दिमाग को सिग्नल भेजकर दृष्टि प्रदान करेगा।

Asianetnews Hindi Stories | Published : Sep 20, 2024 5:19 AM IST

देखकर, सुनकर, छूकर, सूंघकर और चखकर ही मनुष्य इस दुनिया को जानता है, अनुभव करता है। इनमें से देखना अपने आप में एक अलग और अनोखा अनुभव है। क्या आपने कभी सोचा है कि देखना बंद हो जाए तो क्या होगा? आँखें होने पर उनकी कद्र नहीं होती, यह सिर्फ एक कहावत नहीं है। देख न पाने की स्थिति हमें कई तरह से प्रभावित कर सकती है। लेकिन अगर जो देख नहीं सकते उन्हें भी दुनिया देखने को मिल जाए तो? यह कितना खूबसूरत होगा। 

ऐसी ही एक अभूतपूर्व संभावना दुनिया के सामने खुद एलोन मस्क ने रखी है। मस्क की न्यूरालिंक नामक अमेरिकी न्यूरो टेक्नोलॉजी कंपनी नेत्रहीनों को देखने में मदद करने वाला उपकरण बना रही है। 'ब्लाइंड साइट' इस उपकरण का नाम दिया गया है। ऑप्टिक नर्व डैमेज होने और दोनों आंखों की रोशनी चले जाने पर इस उपकरण की मदद से लोग फिर से देख पाएंगे, ऐसा मस्क का दावा है। जन्म से अंधे लोगों के लिए भी यह उपकरण कारगर होगा, उनका कहना है। ब्लाइंड साइट में लगे एक चिप के जरिए ही नेत्रहीनों को देखने में मदद मिलेगी। 

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मस्क ने यह जानकारी दुनिया के साथ साझा करते हुए प्रसिद्ध फिल्म फ्रैंचाइज़ी 'स्टार ट्रेक' के 'जियोर्डी ला फोर्ज' नामक किरदार की तस्वीर शेयर की। जन्म से अंधे इस किरदार को कई तरह के उपकरणों की मदद से देखने की क्षमता मिलती है। 

तस्वीर में जियोर्डी ला फोर्ज जिस उपकरण को पहने हुए हैं, वह देखने में एक चश्मे जैसा है। बताया जा रहा है कि ब्लाइंड साइट भी ऐसा ही चश्मे जैसा पहनने वाला उपकरण होगा। यह एक तरह का कैमरा होगा। इस कैमरे से आने वाले पैटर्न को विजुअल कॉर्टेक्स में लगाए गए माइक्रो इलेक्ट्रोड एरे नामक छोटे चिप्स के जरिए प्रोसेस करके रिक्रिएट किया जाता है, जिससे देखना संभव होता है। मस्क और उनकी कंपनी का कहना है कि जिन लोगों के दिमाग के उस हिस्से, जो तस्वीरों को पहचानता है यानी विजुअल कॉर्टेक्स को नुकसान नहीं पहुंचा है, उन सभी में यह उपकरण काम करेगा। बताया जा रहा है कि मौजूदा तकनीक से मिलने वाली तस्वीर उतनी अच्छी क्वालिटी की नहीं होगी। शुरुआत में पुराने वीडियो गेम की तरह कम रेजोल्यूशन में ही देखना संभव होगा। हालांकि, कंपनी का दावा है कि भविष्य में इस तकनीक के जरिए इंफ्रारेड, अल्ट्रावायलेट रडार की तरह प्राकृतिक देखने की क्षमता से भी ज्यादा साफ दिखाई देगा। 

मस्क ने एक्स प्लेटफॉर्म के जरिए बताया कि इस तकनीक के परीक्षण के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से मंजूरी मिल गई है। इसके अलावा, FDA ने न्यूरालिंक के ब्लाइंड साइट को 'ब्रेक थ्रू डिवाइस' का दर्जा भी दिया है। जानलेवा बीमारियों के इलाज या रोग की पहचान में मददगार चिकित्सीय उपकरणों को ब्रेक थ्रू डिवाइस का दर्जा दिया जाता है। हालांकि, कंपनी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उपकरण कब तक तैयार होगा। 

वहीं, न्यूरालिंक फिलहाल एक ऐसे ब्रेन चिप का इंसानों पर परीक्षण कर रही है, जिससे विचारों से कंप्यूटर उपकरणों को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने चिप लगे व्यक्ति का वीडियो जारी किया था, जिसमें वह अपने विचारों से कंप्यूटर पर वीडियो गेम और शतरंज खेल रहा था। चिप 29 वर्षीय नोलैंड आर्बो में लगाई गई है, जो आठ साल पहले एक हादसे में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से लकवाग्रस्त हो गए थे। आर्बो ने खुद बताया था कि सर्जरी आसान थी और चिप लगने के अगले ही दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी।  इस साल जनवरी के आखिर में चिप लगाई गई थी। कंपनी की योजना आठ और लोगों में यह उपकरण लगाने की है। 

मस्क ने कहा था कि इस तकनीक से शारीरिक रूप से अक्षम लोगों और पार्किंसंस और अल्जाइमर जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से पीड़ित लोग टेलीपैथी के जरिए संवाद कर सकेंगे। मस्क और न्यूरालिंक ब्लाइंड साइट के अगले चरणों में तभी आगे बढ़ेंगे जब इस उपकरण के परीक्षण के चरण पूरे हो जाएंगे।

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