टेक डेस्क. सेंट्रल ईस्ट में और यूक्रेन-रूस युद्ध में ड्रोन का काफी इस्तेमाल हो रहा है। इसका इस्तेमाल हमला करने से लेकर दूसरे कामों के लिए किया जा रहा है। ऐसे में नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज ने एक स्वदेशी ड्रोन विकसित किया है। इसको "कामिकेज़" नाम दिया गया है। इसकी खास बात ये है कि वह 1 हजार किलोमीटर की रेंज देता है। NAL के डायरेक्टर अभय पशिलकर ड्रोन रिसर्च प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं।
ड्रोन कामिकेज़ के फीचर्स
NAL के डायरेक्टर ने कहा कि इस तरह के ड्रोन ने युद्ध लड़ने के तरीके में नए आयाम जोड़ें है। इसकी लागत भी कम है। इस ड्रोन में 30 HP वैंकल इंजन है। इससे 100 से 120 kg वेट के सामान के ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। यह लगभग कामिकेज लगभग 2.8 मीटर लंबा और 3.5 मीटर के विंग्स फैले है। आपको बता दें कि NAL वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) का ही एक हिस्सा है, जिसकी स्थापना 1959 में की गई थी। यह देश के पब्लिक सेक्टर का एकमात्र सरकारी एयरोस्पेस R&D लैब है।
ऐसे काम आएगा आर्मी के
ये ड्रोन सेना के काम आ सकता है। ये ड्रोन झुंड में भी तैनात किया जा सकता है। ये दुश्मनों रडार को ध्वस्त कर सकते हैं। इसमें नेविगेशन सिस्टम है, जो नेविगेट और टारगेट ले सकते हैं। यह सिस्टम वहां भी काम कर सकता है, जहां पर GPS सिग्नल जाम हो। फिलहाल सेना होवरबी नाम के छोटे ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है।
कामिकेज जापान से इंस्पायर्ड
कामिकेज मिशन का कॉन्सेप्ट सेकंड वर्ल्ड वॉर से लिया गया है। उस समय जापानी पायलट अपने विमानों को दुश्मन देशों की सेनाओं की संपत्तियों पर टकरा देते थे। इसमें ये सैनिक अपनी जान तक गवा देते थे। हालांकि, आधुनिक कामिकेज ड्रोन मानवरहित हैं, दूर से नियंत्रित होते हैं। साथ ही सटीक हमला करने में सक्षम हैं।
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