Yann LeCun का कहना है कि ChatGPT जैसे बॉट अपने डेड-एंड में हैं। मतलब उनमें जितनी खूबियां आ चुकी हैं, उससे ज्यादा बेहतर अब उन्हें नहीं बनाया जा सकता है। इससे बेहतर टेक्नोलॉजी भविष्य में आने वाली हैं।
टेक डेस्क : अगर आप सोच रहे हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI फ्यूचर टेक्नोलॉजी है तो आप गलत हो सकते हैं, क्योंकि दावा है कि आने वाले समय में इससे भी तगड़ी टेक्नोलॉजी आ जाएगी, जिसके आगे ChatGPT जैसे चैटबॉट का नामोनिशान तक मिट जाएगा। यह दावा है Meta के चीफ साइंटिस्ट Yann LeCun का। आइए जानते हैं उनका क्या कहना है और जानते हैं उस टेक्नोलॉजी के बारें में जो एआई को भी रिप्सेल कर देगी।
क्या AI फ्यूचर टेक्नोलॉजी नहीं
आपको याद होगा कि अमेरिकी एआई कंपनी OpenAI ने जब साल 2022 के आखिरी में इंसानों की तरह बातचीत करने वाला चैटबॉट चैटजीपीटी पेश किया, तब दुनियाभर में इसे कई तरह से देखा गया। कुछ लोगों ने इसे फ्यूचर टेक्नोलॉजी बताया तो कुछ ने भविष्य के लिए खतरा। इस मॉडल की चर्चा बढ़ ही रही थी कि कई बड़ी कंपनियां इसी तरह की टेक्नोलॉजी डेवलप करने लगीं। इसमें गूगल का बार्ड और माइक्रोसॉफ्ट का बिंग भी शामिल हैं। अब मेटा का भी एक एआई मॉडल पेश हो चुका है। जब एआई टेक्नोलॉजी हर किसी को आकर्षित कर रही है तब Yann LeCun की भविष्यवाणी ने सोचने पर मजबूर कर दिया है।
क्या ChatGPT का मिट जाएगा नामोनिशान
मेटा चीफ साइंटिस्ट Yann LeCun का कहना है कि 'फ्यूचर में जनरेटिव का यूज पूरी तरह खत्म हो जाएगा। इंसानों के पास इस टेक्नोलॉजी की बजाय कोई नई और इससे भी बेहतर टेक्नोलॉजी होगी।' उन्होंने जनरेटिव एआई के भविष्य को खत्म होने को लेकर भी भविष्यावाणी की है। उनका कहना है कि एआई और मशीन लर्निंग बेकार है। इसका कारण यह है कि यह मशीन इंसानों की तरह नहीं हो सकती है। उनका कहना है कि चैटजीपीटी जैसे मॉडल सिर्फ लुभाने का काम कर रहे हैं। इनके रोज नए अपडेट्स आ रहे हैं। Yann LeCun का यह भी कहना है कि ChatGPT जैसे बॉट अपने डेड-एंड में हैं। मतलब उनमें जितनी खूबियां आ चुकी हैं, उससे ज्यादा बेहतर अब उन्हें नहीं बनाया जा सकता है।
क्या ChatGPT से बेहतर है मेटा का AI मॉडल
Yann LeCun का नाम जनरेटिव एआई मॉडल के आलोचकों में आता है। मेटा के नए एआई प्रोजेक्ट I-JEPA पर भी उन्होंने अपनी बात रखी और इसे चैटजीपीटी से काफी शानदार और बेहतर बताया है। उन्होंने कहा, I-JEPA जैसी टेक्नोलॉजी चैटजीपीटी से काफी आगे हैं।
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