सार

ChatGPT में चैट का मतलब बातचीत और जीपीटी का मतलब जेनरेटिस प्री-ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर..यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसे कंटेंट क्रिएट करने के लिए ट्रेंड किया गया है। हाल ही में इसका लेस्ट वर्जन ChatGPT 4 लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।

टेक डेस्क : फ्यूचर टेक्नोलॉजी बताया जाने वाला ChatGPT सवालों के घेरे में है। इस पर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी आज हमारी दुनिया बदल रही है। हमारा पूरा संसार ही इंटरनेट की जाल में जकड़ा हुआ है। इस बीच पिछले साल एक ऐसी टेक्नोलॉजी लॉन्च की गई, जिसने कुछ ही समय में खूब सुर्खियां बटोरीं। इस लेटेस्ट और हाईटेक टेक्नोलॉजी का नाम है ChatGPT...वजूद में आते ही इस AI टूल ने हर किसी को चौंका कर रख दिया है। यह इतना एडवांस है कि इंसानों जैसा ही सवालों के जवाब देता है, हर तरह की मदद को तैयार है लेकिन इसको लेकर कई तरह के खतरे भी बताए जा रहे हैं। आइए 5 सवालों में जानते हैं क्या ChatGPT सच में खतरनाक है?

ChatGPT क्या है

असल दुनिया से अलग अपनी एक दुनिया बनाने वाला चैटजीपीटी काफी हाईटेक है। आप कोई भी सवाल इस टेक्नोलॉजी में डालते हैं और उसका जवाब तैयार हो जाता है। चैट का मतलब बातचीत और जीपीटी का मतलब जेनरेटिस प्री-ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर..यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसे कंटेंट क्रिएट करने के लिए ट्रेंड किया गया है। हाल ही में इसका लेस्ट वर्जन ChatGPT 4 लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। यह आपकी सीवी लिख सकता है। खाने में क्या बनाना है, बता सकता है। आपके लिए कोई प्लान बना सकता है। इतनी जबरदस्त खासियत के बावजूद यह एडवांस टेक्नोलॉजी आज सवालों के घेरे में है। इस पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं।

ChatGPT पर क्या सवाल उठ रहे हैं

पहला सवाल - क्या चैटजीपीटी किसी की जान का दुश्मन बन सकता है?

यह आरोप तब लगा, जब बेल्जियम के एक युवक ने चैटजीपीटी जैसे ही एक एडवांस चैटबॉट का लगातार डेढ़ महीने तक उससे बात करने के बाद सुसाइड कर लिया। अपनी बातचीत में युवक ने चैटबॉट से ग्लोबल वॉर्मिंग और इससे क्या-क्या खतरा हो सकता है, इसका जवाब जाना। जिसके नतीजे जानने के बाद उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।

दूसरा सवाल - क्या चैटजीपीटी प्राइवेसी के लिए खतरा है?

हाल ही में इटली ने प्राइवेसी की वजह से ही चैटजीपीटी पर बैन लगा दिया है। खबर मिल रही है कि जर्मनी भी इस तरह का कदम उठा सकता है। चैटजीपीटी की पैरेंट कंपनी OpenAI को भी लोगों के पर्सनल डेटा न यूज करने की चेतावनी दी गई है।

तीसरा सवाल - क्या राजनीति में चैटजीपीटी का गलत इस्तेमाल हो सकता है?

इसे समझने के लिए आपको अमेरिका लिए चलते हैं, जहां पिछले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक युवक ने चैटजीपीटी से पूर्व प्रेसीडेंट डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) और मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन पर एक पोयम लिखने को कहा। जब चैटजीपीटी ने अपना जवाब दिया तो उसमें जो बाइडेन की जमकर तारीफ की गई थी। वहीं, ट्रंप का सिर्फ निगेटिव एंगल ही बताया गया था। मतलब इसका जवाब एकतरफ हो सकता है। इसलिए राजनीति में इसका गलत इस्तेमाल होने का खतरा भी है। उसी हिसाब से यह लोगों को किसी एक दिशा में सोचने को मजबूर कर सकता है।

चौथा सवाल - क्या चैटजीपीटी नौकरियां छीन सकता है?

इस आरोप को एक आंकड़े से समझते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 तक कंपनियां टेक्नोलॉजी की मदद से सिर्फ 2 प्रतिशत तक ही मैसेज भेजती थी। 2025 तक यह बढ़कर 30 प्रतिशत तक हो सकता है। कहा जा रहा है कि 2030 तक करीब 90 प्रतिशत फिल्में एआई की मदद से बनाई जाएंगी। कोडिंग जैसे टेक्निकल काम भी यह चैटबॉट आसानी से सीख सकता है। इस वजह से सॉफ्टवेयर इंजीनियरों और आईटी सेक्टर की कंपनियों में नौकरियां खतरे में बताई जा रही है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 7 साल बाद 2030 तक इस टेक्नोलॉजी की मदद से 8.5 करोड़ लोगों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है।

चैटजीपीटी से किन लोगों की नौकरी पर ज्यादा खतरा

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डेटा एंट्री क्लर्क

ट्रांसलेटर

रिसर्च एनालिस्ट

कई अन्य प्रोफेशन की नौकरियों पर भी खतरा

पांचवा सवाल - डिफेंस और सिक्योरिटी में आने के बाद चैटजीपीटी कितना खतरनाक?

अब डिफेंस और सिक्योरिटी में भी ड्रोन और रोबोट जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी का यूज होने लगा है। कुछ ऐसे भी रोबोट को शामिल किया गया है, जो बिना इंसानी आदेश को किसी को मार सकते हैं या हमले कर सकते हैं। यही कारण है कि दुनिया की कई दिग्गज कंपनियों के सीईओ एलन मस्क और एपल की तरफ से चैटजीपीटी जैसे एआई से जुड़ी किसी भी लैब को अगल 6 महीने तक काम रोकने को कहा गया है।

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