भारत को Ballistic Missiles और टेक्नोलॉजी में सक्सेफुली इंडीपेंडेंट बनाने वाले APJ अब्दुल कलाम Missile Man नाम से जाने जाते हैं। देश में पहली बार जो मिसाइल डेवेलप हुई, वो अब्दुल कलाम के सुपरविजन में ही हुई।
टेक डेस्क : 27 जुलाई 2015 का वह दिन जब एपीजे अब्दुल कलाम हम सबको छोड़कर इस दुनिया को अलविदा (APJ Abdul Kalam Death Anniversary) कह गए थे। उनकी जिंदगी का एक-एक पन्ना युवाओं के लिए किसी मोटिवेशन से कम नहीं है। कभी फीस के लिए अखबार बेचने वाले कलाम को साइंस और टेक्नोलॉजी से गजब का प्यार था। स्ट्रगल से लड़ते हुए वे देश के 'मिसाइल मैन' बने और दुनियाभर में नाम कमाया। आइए जानते हैं पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न अब्दुल कलाम के 'मिसाइल मैन' बनने की कहानी...
इस तरह टेक्नोलॉजी से प्यार कर बैठे थे एपीजे कलाम
भारत को Ballistic Missiles और टेक्नोलॉजी में सक्सेफुली इंडीपेंडेंट बनाने वाले APJ अब्दुल कलाम Missile Man नाम से जाने जाते हैं। देश में पहली बार जो मिसाइल डेवेलप हुई, वो अब्दुल कलाम के सुपरविजन में ही हुई। अब्दुल कलाम बताते थे कि जब वे 5वीं क्लास में पढ़ रहे थे, तब एक दिन उनके टीचर ने सभी स्टूडेंट्स से एक प्रश्न पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? एक भी स्टूडेंट इस सवाल का जवाब नहीं देख सका। अगले दिन टीचर सभी छात्रों को लेकर समुद्र के किनारे पहुंचे, जहां उड़ते पक्षियों को दिखाकर उनके उड़ने का कारण बताया, उनकी शारीरिक बनावट के बारें में समझाया। तभी कलाम साहब ने तय कर लिया था कि वे एक दिन विमान विज्ञान में जाएंगे। आगे उन्होंने मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।
अब्दुल कलाम...साइंस और टेक्नोलॉजी
1. भारत का पहला सैटेलाइट व्हीकल (SLV)
देश का पहला सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (Satellite Launch Vehicle) जब बन रहा था, तब उस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर अब्दुल कलाम ही रहे। उनकी 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद 1980 में SLV का विकास हुआ। भारत यह सपना काफी पहले से देख रहा था। पूर्व राष्ट्रपति ने की वजह से आज देश अंतरिक्ष तकनीक (Space Technology) में दुनिया के साथ कदमताल कर रहा है। आज देश ने न सिर्फ SLV का निर्माण किया, बल्कि कई ताकतवर लॉन्च व्हीकल भी बनाए।
2. पोखरण परमाणु परीक्षण
1998 में अटल बिहारी वाजपेयी का नेतृत्व और अब्दुल कलाम के दिमाग ने 5 न्यूक्लियर टेस्ट किए। मुख्य वैज्ञानिक एडवाइजर के तौर पर Pokhran-II Nuclear Test का नेतृत्व एपीजी कलाम ने ही किया। इसके बाद से ही उन्हें भारत का बेस्ट न्यूक्लियर साइंटिस्ट कहा गया। जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक देश के परमाणु परीक्षण विभाग के चीफ भी कलाम रहें।
3. यूनिवर्सल हेल्थकेयर का एपीजे कलाम प्लान
सिर्फ सैन्य ही नहीं यूनिवर्सिल हेल्थ केयर में भी अब्दुल कलाम का कमाल का योगदान रहा है। डॉ. Cardiologist Soma Raju के साथ मिलकर उन्होंने बेहद सस्ता कोरोनरी स्टेंट (Coronary Stent) बनाया। इसका नाम कलाम-राजू स्टेंट दिया गया है। इसी की बदौलत आज हार्ट डिजीज वाले लाखों मरीजों का इलाज हो चुका है। साल 2012 में एपीजे कलाम ने डॉ. सोमा राजू के साथ 'कलाम-राजू टैबलेट' नाम से छोटा टैबलेट बनाया। रूरल हेल्थ केयर के लिए इसे तैयार किया गया था।
डॉ. कलाम को किसने कहा 'मिसाइल मैन'
डॉ. कलाम काफी सरल स्वभाव के थे। उन्हें बच्चों से काफी लगाव था। एपीजे अब्दुल कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जाने माने वैज्ञानिक, बेहतरीन इंजीनियर के तौर पर जाने जाते थे। करीब चार दशक तक उन्होंने साइंटिस्ट और विज्ञान के व्यवस्थापक बनकर DRDO और ISRO को संभाला। भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास में उन्होंने काफी योगदान दिया। बैलिस्टिक मिसाइल और लॉन्च वेहिकल टेक्नोलॉजी के विकास के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को 'मिसाइल मैन' नाम से जाना जाता है।
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