पिछले कुछ महीनों में चैटजीपीटी और गूगल बार्ड जैसे एआई चैटबॉट काफी पॉपुलर हुए हैं। इनके आने से जहां लोगों का काम आसान हुआ है तो प्राइवेसी को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हुए हैं। कई टेक लीडर्स ने तो चिंता भी जाहिर की है।
टेक डेस्क : Google ने तो कुछ ऐसा कर दिया है कि हर कोई शॉक्ड है। एक तरफ तो दिग्गज टेक कंपनी AI चैटबॉट BARD का गुणगान करते नहीं थक रही है। पूरी दुनिया से इसका इस्तेमाल करने को कह रही है। वहीं, दूसरी तरफ अपने ही एम्प्लॉइज को इस तरह के चैटबॉट के इस्तेमाल से सावधान रहने को कह रहा है। गूगल ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि वे अपनी पर्सनल डिटेल्स ChatGPT और BARD जैसे एआई टूल पर शेयर न करें और इनसे दूर ही रहें। बता दें कि पिछले कुछ महीने की ही बात है, जब गूगल का Bard और OpenAI के ChatGPT जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट काफी पॉपुलर हुए हैं।
AI चैटबॉट से सावधान
गूगल ने अपने कर्मचारियों को अलर्ट करते हुए कहा है कि वे अपनी किसी भी तरह की डिटेल्स चैटजीपीटी या बार्ड जैसे एआई चैटबॉट पर न शेयर करें। क्योंकि बार्ड अनवांटेड सलाह दे सकता है। Google ने यह भी कहा है कि उसका उद्देश्य अपने टेक्नोलॉजी को टांसपरेंट बनाना है। दरअसल, गूगल चैटजीपीटी जैसे अपने कॉम्पटिटर सॉफ्टवेयर से बिजनेस को लेकर परेशान है। ChatGPT और Microsoft को टक्कर देने के लिए ही कंपनी ने बार्ड पर अरबों रुपए बहा दिए हैं। ऐड्स और क्लाउड रेवेन्यू पर भी उसकी नजर है।
चैटबॉट पर न शेयर करें कोई जानकारी
इसी साल फरवरी में जब गूगल बार्ड की टेस्टिंग कर रहा था, उस वक्त भी उसने अपने कर्मचारियों से कहा था कि बार्ड पर किसी भी तरह की पर्सनल डिटेल्स शेयर न करें और ना ही उससे जुड़े सवाल-जवाब ही पूछें। कुछ दिन पहले ही एक सर्वे रिपोर्ट आई थी। जिसमें कहा गया कि जनवरी में करीब 43 प्रतिशत प्रोफेशनल्स ने बताया कि अपने बॉस की चोरी से उन्होंने ChatGPT जैसे एआई टूल का यूज किया है। 1 जून को गूगल ने अपनी पॉलिसी में कर्मचारियों से एक बार फिर कहा कि बार्ड के साथ जब भी चैटिंग करें तो अपनी कोई भी जानकारी इसके साथ न शेयर करें।
Google Bard की लॉन्चिंग
बता दें कि यूरोपियन यूनियन (EU) में Google Bard की लॉन्चिंग को टाल दिया गया है। प्राइवेसी को लेकर लगातार उठ रहे सवालों के बीच यह फैसला लिया गया है। आयरिश डेटा प्रोटेक्शन कमीशन के बाद कंपनी के मुख्य डेटा रेगुलेटर ने भी इसकी प्राइवेसी को लेकर सवाल उठाया था। रेगुलेटर ने कहा कि गूगल ने इसको लेकर पर्याप्त जानकारी नहीं दी है कि उसका एआई टूल किस तरह लोगों को प्राइवेसी देगा।
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