आखिर सूरज की इतनी गर्मी कैसे झेल पाएगा आदित्य L-1, ऐसी किस चीज से बना है?

लैंग्रेंज L1 पॉइंट से आदित्य एल 1 सूर्य का अध्ययन करेगा। यहां सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण बराबर हो जाती है। इसकी वजह से अंतिरक्ष यान की स्थिति स्थिर हो जाती है और फ्यूल की बचत भी हो जाती है। हालांकि, यहां का तापमान काफी ज्यादा होता है।

बिजनेस डेस्क : भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) का पहला सूर्य मिशन आदित्य L1 अपनी मंजिल की ओर निकल पड़ा है। सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 सूर्य की तरफ रवाना हो चुका है। 125 दिन तक सफर के बाद वह अपनी मंजिल लैंग्रेंज पॉइंट 1 पर पहुंच जाएगा। यह जगह पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां से सूर्य की दूरी भी काफी ज्यादा है लेकिन सबसे बड़ा सवाल जब धरती पर सूर्य का तापमान इतना ज्यादा है तो इतनी ऊंचाई पर और सूर्य के करीब इसका तापमान तो बहुत ज्यादा होगा, ऐसे में आदित्य L-1 सूरज की इतनी गर्मी झेल कैसे पाएगा? आखिर उसे ऐसी किस चीज, धातु या मैटेरियल से बनाया गया है, जो वह सूर्य की गर्मी के बावजूद भी नहीं पिघलेगा? आइए जानते हैं....

किसी स्पेश मिशन पर सैटेलाइट पर सोना क्यों लपेटा जाता है

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आदित्य L-1 सूर्य पर जाने वाला भारत का पहला मिशन है। इससे पहले नासा समेत कई दूसरी स्पेस एजेंसियां सूर्य मिशन पर भेजा है। आदित्य एल1 की तरह ही स्पेस में भेजे गए सभी सैटेलाइट्स पर सोना लपेटा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरिक्ष में धरती की तरह अलग-अलग तापमान नहीं होता है। ये ना तो बहुत गर्म होता है और ना ही बहुत ठंडा। स्पेस का तापमान स्टेरॉइड, सैटेलाइट और ग्रहों के मूवमेंट से बनता है। इसलिए अंतरिक्ष में खतरनाक रेडिएशन मौजूद रहता है। इन रेडिएशन का असर किसी सैटेलाइट पर काफी बुरा पड़ता है। इसी से सैटेलाइट को बचाने के लिए उस पर सोने की परत चढ़ाई जाती है। इससे सैटेलाइट का तापमान भी कंट्रोल में रहता है।

सूर्य की इतनी गर्मी कैसे झेल पाएगा आदित्य L1

आदित्य एल 1 भले ही सूर्य पर लैंड नहीं करेगा और कई लाख किलोमीटर पहले ही रहेगा लेकिन वहां भी असहनीय गर्मी होगी। कोई भी आम धातु आसानी से उस तापमान में पिघल जाएगा। लेकिन आदित्य एल 1 विशेष मटेरियल से बनाया गया है, जिससे इस तापमान का उस पर ज्यादा असर नहीं होगा। आदित्य L-1 भारत में ही डिजाइन किया गया है। इसमें 7 पेलॉर्स हैं, जिनमें से 6 भारत में ही बने हैं। Lagrange पॉइंट से यह सूर्य का अध्ययन किया है। हालांकि, आदित्य एल 1 किस धातु से बना है, इसकी जानकारी इसरो ने गुप्त रखी है। बता दें कि स्पेस एजेंसी मिशन से जुड़ी कई जानकारियां बाहर नहीं निकालती है, उसे गुप्त रखा जाता है।

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