गजब ! आ गया इंसानी दिमाग पढ़ने वाला AI, क्या सोच रहे हैं आप बड़ी ही आसानी से बता देगा

Published : May 05, 2023, 11:31 AM ISTUpdated : May 05, 2023, 11:47 AM IST
America, robot, crime news, shocking news, trending news, viral news, shocking trending news, ajab gajab, weird news

सार

इस नई टेक्नोलॉजी का सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा, जो किसी तरह की शारीरिक अक्षमता की वजह से खुद की बातें जाहिर नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनके दिमाग को पढ़ने में मदद मिलेगी, कि उनके अंदर चल क्या रहा है।

टेक डेस्क : आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ रहा है। ChatGPT, Bing और Google Bard जैसे चैटबॉट्स के आने से इसको लेकर लोगों की उत्सुकता और भी ज्यादा बढ़ी हैं। टेक्नोलॉजिकल रिवॉल्यूशन के दौर में काफी कुछ कल्पनाओं से बाहर निकलकर आ रहा है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एआई मॉडल डेवलप किया है, जो ह्यूमन थॉट्स को डिकोड कर सकता है। मतलब यह इंसानी दिमाग को आसानी से बढ़ सकता है। आपके दिमाग में क्या चल रहा है, इसे यह बड़ी ही आसानी से बता सकता है।

क्या है नया एआई मॉडल

हाल में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑस्टिन के यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के साइंटिस्ट्स ने ह्यूमन थॉट्स को टेक्स्ट में कंवर्ट करने में सफलता पाई है। कंप्यूटर साइंस के डॉक्टरेट स्टूडेंट जेरी टैंग और न्यूरोसाइंस-कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर एलेक्स हथ की अगुवाई में एक स्टडी की गई। इस दौरान फंक्शनल मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (fMRI) मशीन की मदद से 3 ह्यूमन सब्जेक्ट के 16 घंटे की ब्रेन एक्टिविटी को रिकॉर्ड करने में किया। यह तब किया गया, जब वे नैरेटिव स्टोरीज सुन रहे थे। रिसर्चर्स अलग-अलग शब्दों के अनुरूप न्यूरल रिस्पॉन्स की पहचान कर पा रहे थे।

ब्रेन एक्टिविटी डीकोड की प्रॉसेस

वैज्ञानिकों की टीम ने इस ब्रेन एक्टिविटी को डीकोड करने और इसे टेक्स्ट में ट्रांसलेट करने के लिए ChatGPT के जैसे ही कुछ कस्टम ट्रेंड GPT AI मॉडल की हेल्प ली। हालांकि, ये पार्टिसिपेंट्स के सटीक विचारों को कैप्चर नहीं कर सका। यह पार्टिसिपेंट्स जो सोच रहे थे, उसका सार की ट्रांसलेट कर पाया। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जो परिणाम उन्हें मिले हैं, वे 82 प्रतिशत तक की एक्यूरेसी पर हैं। परसीव स्पीच डिकोड करने में AI मॉडल की एक्यूरेसी 72-82 प्रतिशत है। वहीं, इमेजिन स्पीच को यह 41-74 प्रतिशत तक सटीक डिकोड कर पाया। जबकि, साइलेंट मूवी के इंटरप्रिटेशन में एक्यूरेसी रेंज 21-45 प्रतिशत का पाया गया।

नए एआई मॉडल से किसे सबसे ज्यादा फायदा

इस रिसर्च के रिजल्ट नेचर नेयूरोसाइंस जर्नल में पब्लिश हैं। इसमें बताया गया है कि इस पूरी प्रक्रिया को किसी ब्रेन इंप्लांट के बिना ही पूरा किया गया है। रिसर्च टीम का मानना है कि यह उन लोगों के लिए सबसे ज्यादा मददगार होगा, जो बोलने में सक्षम नहीं हैं या किसी तरह से शारीरिक रूप से अक्षम हैं। हालांकि, अभी इस टेक्नोलॉजी को डेवलप किया जा रहा है। इसमें काफी काम करना रह गया है।

क्या नए AI मॉडल के नुकसान भी

वैज्ञानिकों ने इसके दुरुपयोग पर भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने इस बात की भी आशंका जताई है कि इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल गलत तरीके से भी हो सकता है। इससे सरकार पर निगरानी रखी जा सकती है। मेंटल प्राइवेसी के लिए भी यह खतरा बन सकता है।

इसे भी पढ़ें

Watch Video : उम्र के साथ कैसे बदलता है एक लड़की का चेहरा, देखें AI की क्रिएटिविटी

 

21 की उम्र में कैसे दिखते थे भगवान श्रीराम, AI ने बनाई तस्वीर, सोशल मीडिया पर हो रही वायरल

 

 

PREV

Recommended Stories

UIDAI के नए आधार ऐप से घर बैठे कैसे चेंज करें मोबाइल नंबर?
नकली मोबाइल चार्जर की पहचान कैसे करें? इन स्टेप्स को फॉलो करके जानें एक्सपायरी डेट