टेक डेस्क. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए निर्देश जारी किया है। इसका उद्देश्य स्पैम मैसेज और फिशिंग जैसी कोशिशों पर कंट्रोल करना है। लेकिन यूजर्स को बैंकों , वित्तीय संस्थाएं और ई-कॉमर्स फर्मों की सर्विस और ट्रांजैक्शन में समस्या आ सकती है। ट्राई के ये निर्देश 1 सितंबर से लागू होंगे। इस निर्देश के मुताबिक,अब URL, ओटीटी लिंक, एपीके यानी एंड्राइड एप्लीकेशन पैकेज या कॉल बैक वाले मैसेजों पर लगाम लगाना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में हर दिन 1.5 से 1.7 बिलियन कमर्शियल मैसेज भेजे जाते हैं। वहीं, महीने भर 55 बिलियन मैसेज भेजे जाते हैं।
टेलिकॉम कंपनियों को सख्त निर्देश
ट्राई के निर्देशों के मुताबिक, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और ऑनलाइन प्लेटफार्म को 31 अगस्त तक अपने मैसेज टेम्पलेट्स और सामग्री को ऑपरेटरों के साथ रजिस्ट्रेशन करना होगा। अगर कंपनी ऐसा नहीं करती, तो इस तरह के मैसेज को ब्लॉक किया जाएगा।
ट्राई के निर्देश से क्या बदलेगा
ट्राई के इन निर्देशों से कंपनियों पर काफी असर पड़ सकता है। फिलहाल, संस्थाएं अपने हेडर और टेम्पलेट्स को टेलिकॉम कंपनियों के साथ पंजीकृत करती हैं, लेकिन मैसेज के कॉन्टेंट को नहीं। यानी की ऑपरेटर में भेजे गए मैसेज की जांच नहीं होती है। लेकिन अब 1 सितंबर से कंपनियों को ऐसे मैसेज को पढ़ने और उनको ब्लॉक करने के लिए एक सिस्टम तैयार करना होगा।
टेलिकॉम कंपनियों ने की डेडलाइन की मांग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने इसकी डेडलाइन बढ़ाने की मांग की है। कंपनियों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि टेलिकॉम सेक्टर काफी बड़ी है। इसमें ब्लॉकचेन बेस्ड DLT को अपडेट करने में वक्त लगता है। वहीं, ट्राई के अधिकारियों का कहना है कि टेलिकॉम कंपनियों को पर्याप्त समय दिया गया है।
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