सरकार और टेलिकॉम कंपनियों के साथ मिलकर साइबर क्राइम के साथ एक रणनीति तैयार कर रही है। सरकार अब कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) नाम की सर्विस शुरू कर रही है। कॉल की प्राइवेसी के लिए टेलीकॉम कंपनियां कॉलर की पहचान को वेरीफाई करेगी।
टेक डेस्क. भारत में ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे है। ऐसे में सरकार और टेलिकॉम कंपनियों के साथ मिलकर साइबर क्राइम के साथ एक रणनीति तैयार कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के बाद सरकार 100 दिनों के अंदर कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) नाम की सर्विस शुरू कर रही है। इसके अलावा इस समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी की शुरुआत की जाएगी। इससे आम लोगों में साइबर क्राइम को समझने और इस पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
CNAP कैसे काम करेगा
NCSA डिजिटल फ्रॉड से निपटने के लिए काम करेगा। इसके अलावा साइबर क्राइम से बचने के लिए नए उपकरण को बनाने पर फोकस करेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CNAP चलाने के लिए टेलीकॉम कंपनियां भी आगे आई हैं।
कॉल की प्राइवेसी के लिए टेलीकॉम कंपनियां कॉलर की पहचान को वेरीफाई करेगी। इससे साइबर क्रिमिनल्स की पहचान करेगा। यह ट्रू-कॉलर ऐप की तरह काम करेगा, जो आपको कॉलर के नाम के साथ आने वाली कॉल के बारे में जानकारी देगा।
जानें फ्रॉड कॉल का कैसे पता लगाए
ट्रूकॉलर और दूसरी सर्विस के अलावा भी फ्रॉड कॉल का पता लगाया जा सकता है। फ्रॉड कॉल आने पर आपको ये 6 हिंट्स मिलते है, आप इससे फ्रॉड कॉल को पहचान कर सकते है।