बुजुर्ग मां को सलाम: 102 साल की लक्ष्मी मैती के लिए उम्र महज एक नंबर, सब्जी बेचकर पाल रहीं परिवार

पश्चिम बंगाल की रहने वाली लक्ष्मी मैती दूसरों के लिए सबक हैं। 102 साल की उम्र में भी उनकी फुर्ती, जोश और चमकता चेहरा बताता है कि अगर इरादे नेक और पक्के हैं, तो कोई भी चुनौती आपको डिगा नहीं सकती। 

नई दिल्ली। काम करने वालों के लिए कोई भी कठिनाई मायने नहीं रखती। वह हर वक्त हर चुनौती का सामना करने को तैयार रहते हैं। पश्चिम बंगाल की लक्ष्मी मैती के साथ भी ऐसा ही कुछ है। 102 साल की उम्र में भी वह सब्जी बेचकर अपना और परिवार को पेट पाल रही हैं। उनके लिए उम्र सिर्फ एक नंबर है और इसीलिए यह उनके हौसले को कम नहीं करता। 

102 साल की उम्र में भी आप लक्ष्मी मैती का चेहरा चमकता हुआ पाएंगे। उनकी फुर्ती गजब की है और जोश में कभी कमी नहीं आती। वह बीते  50 साल से सब्जी बेचकर परिवार चला रही हैं। इस उम्र में भी वह परिवार का बेसब्री से ख्याल रखती हैं। वह हमेशा चाहती हैं कि उनके परिवार को कभी आर्थिक संकटों का सामना नहीं करना पड़े। परिवार बुनियादी सुविधाओं के लिए नहीं तरसे। 

Latest Videos

48 साल पहले पति की मौत हुई, गरीबी इतनी कि कई दिन भूखे रहीं
लक्ष्मी मैती पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के जोगीबढ़ गांव में रहती हैं। वह इस उम्र में भी चाहे कोई भी मौसम हो, रोज सुबह चार बजे कोलघाट सब्जी मंडी जाती हैं। वहां से थोक सब्जियां लेती हैं और लाकर बाजार में बेचती हैं। लक्ष्मी के पति की 48 साल पहले मौत हो गई थी। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें कई दिनों तक भूखे रहना पड़ा। 

घर चलाने के लिए सब्जी बेचने का काम शुरू किया
लक्ष्मी के मुताबिक, तब उनका बेटा सिर्फ 16 साल का था और उसके पढ़ने-लिखने-खेलने की  उम्र थी। कुछ दिन काफी परेशानी में गुजरे। इसके बाद घर चलाने के लिए सब्जी बेचने का काम शुरू किया। कुछ दिन बाद गंभीर रूप से बीमार हो गई, लेकिन काम करती रही, क्योंकि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें, इसके लिए काम करना बेहद जरूरी था और यह मैंने हमेशा जारी रखा। 

बेटा बोला- मेरी मां साक्षात दुर्गा का स्वरूप  
हालांकि, उनकी मेहनत रंग लाई और आर्थिक स्थिति कुछ हद तक सुधरी। वैसे, इसमें गैर सरकारी संगठन यानी एनजीओ हेल्पेज इंडिया का योगदान भी रहा। मैती के घर में आज बुनियादी जरूरतों को लेकर सभी सामान हैं। हेल्पेज ने लक्ष्मी के बेटे गौर को चाय-नाश्ते की दुकान चलाने के लिए 40 हजार रुपए बतौर कर्ज दिया। गौर अपनी मां की तारीफ में कहते हैं, वह सच में दुर्गा का साक्षात स्वरूप है। मां ने हम सबका पेट भरा। मेरी बेटी की शादी के लिए पैसे भी जुटाए। पक्का मकान बनवाया और कर्ज भी चुकाया। अब परिवार के लोग उनकी देखभाल करते हैं। मगर वह आज भी किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहतीं। गौर के अनुसार उनकी मां आयरन वुमन यानी लौह महिला हैं। 

हटके में खबरें और भी हैं..

कमाई के चौंकाने वाले तरीके: ब्रेस्ट का पसीना बेचकर ये महिला हर महीने कमा रही करोड़ों

अजीबो-गरीब रस्म: विदाई से पहले पिता करता है यह काम, तब बेटी को भेजता है ससुराल

यहां तीन साल पीते हैं जहरीली चाय, फिर खुद को बंद कर लेते हैं मकबरे में, रोज बजानी होती है घंटी, जानिए क्यों 

मौत के बाद पूरा परिवार खाएगा मृतक के शव का मांस, जलाने के बाद राख का सूप भी पीना होगा

Share this article
click me!

Latest Videos

SC on Delhi Pollution: बेहाल दिल्ली, कोर्ट ने लगाई पुलिस और सरकार को फटकार, दिए निर्देश
Maharashtra Election: CM पद के लिए कई दावेदार, कौन बनेगा महामुकाबले के बाद 'मुख्य' किरदार
शर्मनाक! सामने बैठी रही महिला फरियादी, मसाज करवाते रहे इंस्पेक्टर साहब #Shorts
Congress LIVE: राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
Rescue Video: आफत में फंसे भालू के लिए देवदूत बने जवान, दिल को छू जाएगा यह वीडियो