इंडियन आर्मी (Indian Army) में अहीर रेजिमेंट (Ahir Regiment) बनाने की मांग को लेकर दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर धरना-प्रदर्शन बीते 4 फरवरी से हो रहा है। वहीं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत संह ने इस धरना-प्रदर्शन को समर्थन देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र भी लिखा है।
नई दिल्ली। भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट (Ahir Regiment In Indian Army) को बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। इससे पहले, हरियाणा के अहीर सैनिक कुमाऊं रेजिमेंट में होते थे, इसीलिए इस रेजिमेंट को अहीर रेजिमेंट (Ahir Regiment) भी कहते थे। हालांकि, अब अहीर समुदाय के लिए एक पूरी अलग इनफेंट्री बनाने की मांग हो रही है। यही नहीं, बीते चार फरवरी से दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर खेड़की दौला टोल प्लाजा के पास इसको लेकर धरना-प्रदर्शन भी जारी है।
यह धरना प्रदर्शन यूनाइटेड अहीर रेजिमेंट मोर्चा के बैनर तले हो रहा है और अब धीरे-धीरे बढ़ रहा है। बीते बुधवार को इस प्रदर्शन की वजह से हाई-वे पर करीब 6 किमी लंबा जाम लग गया था। यही नहीं, धरना-प्रदर्शन में शामिल अहीर समुदाय के लोगों को विभिन्न राजनीतिक दलों का जबरदस्त समर्थन भी मिल रहा है। ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि अहीर रेजिमेंट क्या है और इसे बनाने की मांग क्यों तेजी से हो रही है।
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केंद्रीय मंत्री ने दिया समर्थन, राजनाथ से भी मिले
हाल ही में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अहीर समुदाय की ओर से दिए जा रहे इस धरना प्रदर्शन को समर्थन देते हुए कहा, मैं सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग का पूरी तरह समर्थन करता हूं। मैंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र भी लिखा है और इस मांग को लेकर मुलाकात भी की है। राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि वह इस मामले को उठाना जारी रखेंगे।
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1857 की क्रांति के अहीर नायक थे राव तुलाराम
दरअसल, सबसे पहले यह जानते हैं कि अहीर रेजिमेंट अहीर शब्द क्यों और कैसे घुसा। हरियाणा में रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम को मिलाकर इस इलाके अहीरवाल क्षेत्र कहते हैं। राजा राव तुलाराम से इसका संबंध है। राव तुलाराम 1857 की क्रांति के अहीर नायक थे। वह रेवाड़ी में रामपुरा रियासत के राजा था। इसी क्षेत्र में लंबे समय से अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग हो रही है। इसके अलावा उन राज्यों में इसकी मांग तेजी से उठती रही है, जहां अहीर आबादी पहले से ही अधिक है।
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अहीर सैनिकों के बहादुरी और बलिदान के किस्से आज भी चर्चित
हरियाणा के अहीर सैनिकों ने वर्ष 1962 में रेजांगला के युद्ध में चीनी सैनिकों को धूल चटाई थी। इस युद्ध में कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन की सी कंपनी के कई सैनिक चीनी सैनिकों से युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। इसी समय से अहीर सैनिक पहली बार चर्चा में आए। इस युद्ध में 117 अहीर सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को आज भी पूरी शिद्दत से याद किया जाता है।