महिंद्रा ने ट्वीट में आडियो क्लिप शेयर कर बताया ब्रिटिश शिक्षा ने कैसे प्रभावित किया, सुनिए वायरल स्क्रिप्ट

बिजनेस टायकून आनंद महिंद्रा ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर एक आडियो क्लिप पोस्ट की है, जिसके जरिए उन्होंने बताया कि भारतीयों को ब्रिटिश उपनिवेश और शिक्षा ने कैसे प्रभावित किया। यह क्लिप स्टैंडअप कॉमेडियन डैलिसो चापोंडा की है। 

मुंबई। महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के चेयरमैन और मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। वे करीब 97 लाख फॉलोअर्स का मनोरंजन अपने ट्वीट के माध्यम से करते रहते हैं। उन्होंने एक ट्वीट किया है, जिसके जरिए बताया है कि ब्रिटिश उपनिवेश देशों को कैसे प्रभावित करता है। महिंद्रा ने इंग्लैंड में रहने वाले स्टैंड अप कॉमेडियन डैलिसो चापोंडा की एक स्क्रिप्ट का आडियो शेयर किया है। 

इस क्लिप के साथ महिंद्रा ने अपनी पोस्ट में लिखा, फ्लॉलेस लॉजिक, जो चलता है.. वही आता है। आडियो क्लिप  चापोंडा की है, जिनकी शिक्षा जांबिया, सोमालिया और केन्या जैसे अफ्रीकी देशों में ब्रिटिश स्कूलों में हुई है। चापोंडा के मुताबिक, उन्हें अपने स्कूल में अंग्रेजी, फ्रेंच और लैटिन में पढ़ाया गया है। इसके विपरित स्वाहिली और सोमाली जैसी स्थानीय भाषाओं की उपेक्षा की गई। 

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स्कूलों में बताया गया कि कमाल का था ब्रिटिश कल्चर 
उन्होंने कहा, मेरे स्कूल ने सोचा था कि अफ्रीका में एक मासाई योद्धा की तुलना में जूलियस सीजर के भूत के मेरे भीतर दौड़ने की संभावना अधिक है और इतिहास में हम विलियम द कॉन्करर, हेनरी XIII के बारे में सीख रहे थे। हमने कोई अफ्रीकी इतिहास बिल्कुल नहीं सीखा। मेरे स्कूलों ने मुझे बताया गया कि मेरी संस्कृति बकवास थी और  ब्रिटिश कल्चर कमाल का था। चापोंडा ने बताया कि वह 10 साल पहले इंग्लैंड चले गए थे। उनसे पूछा गया था कि ये सभी अप्रवासी यहां क्यों आते हैं। जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि ठीक है, आपने मुझे यह बताते हुए दशकों बिताए कि यह सबसे बड़ी जगह है! आपको क्या लगा कि मैं कहां जा रहा हूं। 

भारत में भी तो इतिहास को बदल दिया गया 
महिंद्रा का यह ट्वीट थोड़ी ही देर में वायरल हो गया। एक यूजर ने कमेंट बॉक्स में लिखा, सच है और एक तरह से यह भारत में भी लागू होता है। इतिहास का विकृत संस्करण हमें सिखाया जाता रहा है। दूसरे यूजर ने लिखा, हमें डर है कि हमारी अपनी बोली जाने वाली भाषाएं अगले एक या दो दशक में खत्म हो जाएंगी, क्योंकि महानगरों में और बड़े शहरों में बोली जाने वाली भाषा अंग्रेजी है। भारत में माता-पिता अपने बच्चों के साथ घर पर अंग्रेजी में बात करते हैं और उसी में उन्हें ट्रेनिंग देते हैं। 

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