खराब मौसम हो या खतरनाक पहाड़ियां..इस योद्धा ने कभी हार नहीं मानी। सेना के जवानों के लिए यह गोला बारूद, इंजीनियरिंग का सामान और राशन पहुंचाने का काम किया। इसकी शारीरिक मजबूती ने कठिन परिस्थितियों में सेना का काम काफी आसान किया।
ट्रेडिंग न्यूज : जब अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग (Tawang) में भारतीय सेना के जवान दुश्मन को टक्कर देने डटे थे, तब उनका कदम-कदम पर साथ दे रहा था एक गुमनाम 'योद्धा'..भारी बारिश हो या फिर खतरनाक ट्रैक, यह योद्धा हर समय जवानों की मदद में डटा रहा। यह गुमनाम योद्धा कोई औऱ नहीं बल्कि एक खच्चर है। सेना दिवस (Army Day 2023) पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे (Manoj Pande) ने रिमाउंट नंबर 4K-509 और यूनिट हूफ नंबर-122 खच्चर (माउंटेन आर्टिलरी) को COAS प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया है।
प्रतिकूल परिस्थिति में भी डटा रहा
खुर संख्या-122 खच्चर हर परिस्थिति में फॉरवर्ड पेट्रोलिंग प्वाइंट से यांग्त्से तक यानी 15 हजार फीट से ऊपर पशु परिवहन काफिले (animal convoy) में सबसे आगे खड़ा रहा। बता दें कि सबसे कठिन इलाकों में सामान ले जाने में खच्चरों में सबसे ज्यादा सहनशक्ति मानी जाती है।
सेना ने दी जानकारी
इस सम्मान की जानकारी गजराज कोर्प्स की तरफ से दी गई है। ट्विटर हैंडल पर खुर संख्या-122 खच्चर के सम्मान की तस्वीरें पोस्ट करते हुए सेना ने लिखा कि 'सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी दूर के क्षेत्रों में पशु परिवहन यूनिट्स में खच्चर सबसे महत्वपूर्ण रहे। हूफ नंबर 122 ऐसा ही एक हीरो है। जिसे सेना दिवस 2023 पर थल सेनाध्यक्ष प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। यह गुमनाम योद्धाओं की तरफ से निस्वार्थ सेवा की पहचान है।'
जबरदस्त रहा 6 साल का कार्यकाल
इस खच्चर ने खराब मौसम और खतरनाक पहाड़ियों में भी हार नहीं मानी और अपनी मजबूती का परिचय दिया। इसकी मदद से सेना ने जरूरी इंजीनियरिंग सामान, गोला-बारूद उठाने और एडवांस विंटर स्टॉकिंग के दौरान भारी भरकम राशन ले जाने जैसे कठिन काम किया। भारतीय सेना में इस खच्चर ने 6 साल में करीब 6500 किलोग्राम का भार उठाया और 750KM की दूरी तय की है।
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