Deepawali 2022: क्या होता है ग्रीन पटाखा, जानिए पारंपरिक पटाखों से कितना कम होता है इनका प्रदूषण स्तर

Deepawali 2022: ग्रीन पटाखे (Diwali Green Crackers) अब तक के पारंपरिक पटाखों से करीब 30 प्रतिशत कम प्रदूषण फैलाते हैं। कोर्ट का आदेश है कि जिन शहरों में हवा का स्तर खराब है, वहां ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति दी जा सकती है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 19, 2022 8:50 AM IST / Updated: Oct 20 2022, 11:22 AM IST

ट्रेंडिंग डेस्क। Deepawali 2022: दीपावली का त्योहार अब बिल्कुल करीब है। लोगों ने घरों में साफ-सफाई शुरू कर दी है। कोरोना संक्रमण के करीब दो साल बाद लोगों को इस बार खुलकर इस पर्व को मनाने की अनुमति मिली है वरना, दो साल से लोग लॉकडाउन और सोशल  डिस्टेंसिंग का पालन करने में ही बाहर नहीं निकल पा रहे थे। हालांकि, कोरोना का खतरा अब भी है और महाराष्ट्र में केस मिलने के बाद इस राज्य को अलर्ट मोड पर रख दिया गया है। 

बावजूद इसके, बाजार में खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी पड़ी है। बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और बहुत से लोगों ने अपने घरों पर बिजली वाले झालर की लड़ियां लगा दी हैं। वहीं, इस बार बहुत से लोग ग्रीन पटाखे (Diwali Green Crackers) छोड़ने की तैयारी में हैं। ये पटाखे खास तरह के होते हैं, जो अब तक चले आ रहे बारुदी पटाखों से अलग होते हैं। ये उस तरह प्रदूषण नहीं फैलाते। सीएसआईआर के अनुसार, यह मुख्य पटाखों से करीब 30 प्रतिशत तक कम प्रदूषण फैलाते हैं। केमिकल रिएक्शन ऐसा होता है, जिससे वातावरण को प्रदूषित करने के वाले कणों का उत्सर्जन कम मात्रा में हो। इनसे निकलने वाली धूल दब जाती है। 

बारुदी पटाखों की तरह प्रदूषण नहीं फैलाते ग्रीन पटाखे 
बहरहाल, पटाखों को लेकर अब भी कई जगह लोग मायूस हैं। खासकर, दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग को देखते हुए जिस तरह पटाखों पर बैन लगाया गया है, उससे यहां के लोग ज्यादा निराश हैं। हालांकि, यह बैन स्वास्थ्य और जलवायु को देखते हुए जरूरी भी हैं, मगर कुछ लोग इसके लिए त्योहार से समझौता नहीं करना चाहते। ऐसे में उनके लिए ग्रीन पटाखे एक बेहतर विकल्प हो सकता है। 

धूल को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है 
देश में  ग्रीन पटाखे (Diwali Green Crackers) बनाए  जा रहे हैं और तीन स्तर के पटाखे बाजार में उपलब्ध हैं, जिनमें स्वास, स्टार और सफल शामिल हैं। ये एल्यूमिनियम, बेरियम, पोटैशियम नाइट्रेट और कॉर्बन जैसे केमिकल का इस्तेमाल कर बनाए जाते हैं। ये धूल को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है। सामान्य पटाखे जहां 160 डेसिबल तक शोर पैदा करते हैं, तो ग्रीन पटाखों से सौ से सवा सौ के बीच शोर उत्पन्न होता है। वैसे तो, विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने बारुदी पटाखे ग्रीन पटाखे दोनों ही प्रदूषण की वजह होते हैं, मगर ग्रीन पटाखे बारुदी से 30 प्रतिशत तक कम प्रदूषण  फैलाते हैं। 

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