Earthquake Facts : आखिर क्यों पूरी दुनिया में लगातार आ रहे भूकंप? जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

Published : Mar 05, 2023, 09:53 AM ISTUpdated : Mar 05, 2023, 10:01 AM IST

तुर्की सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप के बाद हर दूसरे दिन एक भूकंप की खबर सुनने मिल रही है। दुनिया के कई देशों में लगातार भूकंप आ रहे हैं। वहीं उत्तराखंड में शनिवार को एक के बाद एक 4 भूकंप के झटके लगे। आइए जानते हैं क्या हो सकती है इसके पीछे की वजह…

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जब किसी क्षेत्र में भूकंप के झटके लगातार आने लगें तो इसे भू-विज्ञानी Earthquake Swarm (स्वार्म) कहते हैं। हालांकि, स्वार्म एक सीमित क्षेत्र में आते हैं, उदाहरण के तौर पर उत्तराखंड में पिछले कई महीनों से भूकंप के कई हल्के झटके महसूस किए जा रहे हैं, तो इसे स्वार्म कह सकते हैं।

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हालांकि, तुर्की-सीरिया में पिछले महीने आए विनाशकारी भूकंप के बाद दुनिया के कई देशों में बड़े-छोटे भूकंप आने का क्रम सा चल पड़ा है। इस बात ने भू-वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। देखा जाए तो भूकंप के चार प्रकार होते हैं जैसे टेक्टोनिक भूकंप, ज्वालामुखीय भूकंप, कोलेप्स भूकंप और विस्फोटक। फिलहाल पूरी दुनिया में जो भूकंप आ रहे हैं उनमें से ज्यादातर टेक्टोनिक भूकंप हैं।

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टेक्टोनिक भूकंप धरती के अंदर मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स में हलचल की वजह से आते हैं। ये हमेशा धीरे-धीरे खिसकती रहती हैं, जिसका कोई विशेष प्रभाव सतह पर नहीं पड़ता पर जब ये प्लेट्स जोर से खिसक जाएं तो सतह पर बड़े और विनाशकारी भूकंप आते हैं। फिलहाल इस बात पर रिसर्च जारी है कि पूरी दुनिया में टेक्टोनिक प्लेट्स में इतनी ज्यादा हलचल क्यों हो रही है।

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इसके अलावा भी कई देशों में अन्य प्रकार के भूकंप वहां की परिस्थितियों के हिसाब से आते हैं, जैसे ज्वालामुखीय भूकंप जो ज्वालामुखी विस्फोट से आते हैं। इसके अलावा कोलेप्स भूकंप होते हैं जो बड़ी खदानों के क्षेत्र के आसपास आते हैं। अंत में आते हैं ऐसे भूकंप जो विस्फोट या धमाके से उत्पन्न होते हैं।

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भू-वैज्ञानिक कहते हैं कि विभिन्न देशों में क्षेत्रीय स्तर पर भी भूकंप आने का खतरा वहां की परिस्थितयों पर आधारित होता है। इसी को देखते हुए किसी क्षेत्र को खतरे के आधार पर बांट दिया जाता है। जैसे भारत को भूकंप के खतरे के हिसाब से पांच जोन में बांटा गया है। पहले जोन में आने वाले राज्य व क्षेत्रों में सबसे कम खतरा है तो वहीं पांचवें जाेन में सबसे ज्याद खतरा।

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