Uttarkashi Tunnel Hadsa : किसी मलबे में दबा इंसान कब तक जिंदा रह सकता है?

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा, सिलक्यारा सुरंग में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना पहली प्राथमिकता है। उन्होंने घटनास्थल का जायजा लिया और अधिकारिकों को किसी तरह की कमी न छोड़ने का आदेश दिया है।

Satyam Bhardwaj | Published : Nov 13, 2023 2:47 PM IST

Uttarkashi Tunnel Hadsa : दिवाली के दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल धंसने से जो हादसा हुआ, उससे पूरा देश दुखी है। इस हादसे में 40 मजदूर दब गए। जिन्हें बाहर निकालने रेस्क्यू चलाया जा रहा है। इस बीच सबसे बड़ा सवाल कि अक्सर इस तरह के हादसे में बहुत से लोग मलबे में दब जाते हैं। ऐसे में वे कितने दिन तक जिंदा रह सकते हैं। आइए जानते हैं किसी मलबे में दबने वाले इंसान के जिंदा रहने की उम्मीद कब तक होती है...

क्या मलबे में दबा इंसान जिंदा रह सकता है

जब किसी आपदा के आने पर कोई इंसान मलबे में दब जाता है तो कई ऐसे फैक्टर्स् होते हैं, जो ये बताते हैं कि वह कितने समय तक जिंदा रह सकता है। जैसे- अगर मलबा काफी भारी है और इंसान के ऊपर गिरा है तो वह कुछ ही घंटे तक जिंदा रह सकता है। भूकंप जैसी आपदाओं में अक्सर ऐसा ही देखने को मिलता है। जबकि अगर कोई इंसान मलबे में दबलने की बजाय उसमें फंस जाए तो कुछ दिन तक जिंदा रह सकता है।

मलबे में दबा इंसान कब तक जिंदा रहता है

अगर कोई इंसान मलबे में दब गया है तो उसके जिंदा रहने की सबसे बड़ी आस उस तक पहुंचने वाले ऑक्सीजन से रहती है। अगर उसके चारों तरफ मलबा है तो उस जगह कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ती रहती है और दम घुटने से उसकी मौत हो सकती है लेकिन अगर उस तक ऑक्सीजन पहुंच रही होती है और वहां जगह भी है तो पानी की कमी से उसकी मौत हो सकती है। यानी जब तक पानी की कमी नहीं होती, तब तक वह जिंदा रह सकता है। एक अनुमान के बिना अगर किसी को पानी न मिले तो वह कम से कम तीन दिन और अधिकतर सात दिनों तक जिंदा रह सकता है।

कब तक चलता है रेस्क्यू ऑपरेशन

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर किसी मलबे में कुछ लोग दब गए हैं और पहले या दूसरे दिन के रेस्क्यू में कोई जिंदा नहीं मिलता है तो रेस्क्यू ऑपरेशन 5-7 दिन में बंद कर दिया जाता है, क्योंकि 7 दिनों तक किसी के जिंदा रहने की उम्मीद होती है।

क्या 7 दिन बाद कोई जिंदा नहीं रह सकता

ऐसा भी नहीं है कि 7 दिन बाद लोग जिंदा नहीं बचते हैं। कई बार ऐसा भी देखने को मिला है, जब दो से तीन हफ्ते बाद भी लोग मलबे से सुरक्षित जिंदा बाहर निकले हैं। इसका पहला उदाहरण साल 2013 में बांग्लादेश में फैक्ट्री गिरने से दबी महिला का है, जो 17 दिनों बाद भी जिंदा बच गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हैती में जब भूकंप आया था, तब 27 दिन बाद एक इंसान को जिंदा बाहर निकाला गया था।

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