धनुषकोडी गांव (Dhanushkodi Village) रामेश्वरम (Rameswaram) से 15 किमी दूर स्थित है। श्रीलंका से इस गांव की दूरी (Distance Between Srilanka to Rameswaram) 18 मील है और वहां का नजारा बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देता है। इसे देखने के लिए पर्यटक (Tourist in India) यहां सिर्फ दिन के उजाले में आते हैं। अंधेरा होते ही यह जगह वीरान हो जाती है।
नई दिल्ली। भारत में एक ऐसा गांव है, जहां से श्रीलंका साफ-साफ दिखाई देता है। वहां की बिल्डिंगें, पेड़-पौधे और पहाड़ सब दिखता है। दिनभर इस गांव में चहलकदमी रहती है। देश ही नहीं दुनियाभर से लोग यहां आते हैं, मगर अकेले नहीं बल्कि, समूहों में। वहीं, अंधेरा होने से पहले ही पूरा गांव वीरान हो जता है। यहां आदमी तो दूर जानवर भी दिखाई देता। अंधेरा होने के बाद यहां रूकना मना है।
इस गांव को लेकर धार्मिक मान्यता भी है। माना जाता है कि यह गांव रामायण काल से जुड़ा हुआ है। भगवान राम ने लंका जाने के लिए समुद्र सेतु यहीं से बनवाया था। रावण को मारने और विभिषण को लंका का राजा बनाने के बाद भगवान राम जब समुद्र सेतु के जरिए वापस इस गांव में आए तब उनके साथ विभिषण भी थे। उन्होंने भगवान राम से विनती करते हुए कहा कि वे इस सेतु को अब तोड़ दें। विभिषण की बात को मानते हुए भगवान राम ने अपने धनुष से गांव के इस छोर से बने सेतु को तोड़ दिया। इसलिए इस गांव का नाम धनुषकोडी रखा गया।
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दुनिया के सबसे छोटे स्थान में एक
यह गांव तमिलनाडु के पूर्वी तट पर रामेश्वरम के दक्षिण छोर पर स्थित है। धनुषकोडी से रामेश्वरम के बीच की दूरी लगभग 15 किमी है। एक समय था, जब लोग यहां रहते थे। भरी-पूरी आबादी थी। यह भारत और श्रीलंका के बीच अंतिम ऐसी स्थलीय सीमा है, जहां गांव बसा हुआ था। यह स्थान पाक जलसंधि में बालू के टीले पर केवल 50 गज की लंबाई में है और इसीलिए दुनिया के सबसे छोटे स्थान में एक है।
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अंधेरा होने से पहले गांव वीरान
दिनभर चाहे यहां जितनी भीड़ हो, मगर अंधेरा होने से पहले रामेश्वरम लौट जाते हैं। धनुषकोडी से रामेश्वरम तक की दूरी सुनसान और रहस्यमयी है। दावा यह भी किया जाता है कि यह गांव और पूरा क्षेत्र भुतहा है। हालांकि, डरावनी होने के बावजूद दिनभर यहां पर्यटक आते हैं, मगर अंधेरा होने से पहले लौट जाते हैं। श्रीलंका यहां से सिर्फ 18 मील की दूरी पर है और वहां की चीजें स्पष्ट दिखाई देती है। इस नजारे को कैद करने के लिए दुनियाभर के सैलानी यहां आते हैं। हालांकि, कहा यह भी जाता है कि चक्रवात की वजह से गांव में कई लोगों की मौत् हो गई थी और उनकी आत्मा आज भी भटकती है, क्योंक उनका श्राद्धकर्म ठीक विधि पूर्वक नहीं हो पाया था।
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