
एक रेडिट पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। एक रेडिट यूजर ने लिखा है कि उनकी घर में काम करने वाली महिला उनसे ज़्यादा अमीर है। इस पोस्ट पर लोगों ने कमेंट किए हैं कि अच्छे कॉलेजों से पढ़ाई करने के बाद भी उनकी कमाई 50 हज़ार से कम है। कुछ लोगों ने पूछा है कि यह कैसे मुमकिन है? कुछ लोगों का कहना है कि ये आंकड़े देखने में तो अच्छे लगते हैं, लेकिन इन कामों में कोई जॉब सिक्योरिटी नहीं होती। प्राइवेट या सरकारी नौकरी जैसी सुविधाएँ और सुरक्षा यहाँ नहीं मिलती।
पोस्ट करने वाले ने बताया है कि वो एक टियर-3 शहर में रहते हैं। उनके घर में काम करने वाली महिला तीन घरों में काम करके 30 हज़ार रुपये महीना कमाती है। उसका काम सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होता है।
यूजर ने बताया कि महिला का परिवार कुल मिलाकर 1 लाख रुपये महीना कमाता है। महिला की कमाई 30 हज़ार है, उसके पति दिहाड़ी मज़दूरी करके 30,000 रुपये कमाते हैं। उनका बड़ा बेटा एक साड़ी की दुकान में काम करके 30 हज़ार कमाता है।
उनकी बेटी 11वीं क्लास में पढ़ती है और 3,000 रुपये महीना खर्च करके टेलरिंग सीख रही है। ट्रेनिंग के बाद वो भी 15 से 20 हज़ार रुपये महीना कमाएगी। अगले महीने से परिवार की कमाई 1 लाख से ज़्यादा हो जाएगी। इस कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता क्योंकि महिला और उसके पति अपनी कमाई कैश में लेते हैं।
₹1 लाख कमाने वाला यह परिवार 6,000 रुपये महीने के किराये के घर में रहता है। चावल वगैरह सरकारी योजना से मुफ़्त में मिलता है। गाँव में उनका अपना एक अच्छा घर भी है, जो पीएम आवास योजना से मिला है। उन्होंने इसे किराये पर दे रखा है, जिससे उन्हें अतिरिक्त कमाई होती है। उनके पास पुश्तैनी ज़मीन भी है, जिससे उन्हें हर तीन महीने में 30 से 40 हज़ार रुपये की आमदनी होती है।
पोस्ट करने वाले ने लिखा है कि इस पोस्ट का गलत मतलब न निकाला जाए। उन्हें महिला की तरक्की की खुशी है। महिला और उसका परिवार मेहनत करता है और इस सफलता का हकदार है। लेकिन सवाल यह है कि असल में मिडिल क्लास कौन है? गरीब/अमीर कौन है?
एक यूजर ने कमेंट किया कि अगर परिवार की कमाई 1.5 लाख मान भी लें, तो यह पाँच लोगों की कमाई है। मतलब एक व्यक्ति की कमाई कम से कम 30 हज़ार है। तो फिर यहाँ कौन टैक्स के दायरे में नहीं आता?