चीन ने 1962 में भारत पर हमला बोल दिया था। करीब आठ दिन तक चली जंग के बाद भारत को हार का मुंह देखना पड़ा। बाद में चीनी अखबार ने दावा किया था कि भारतीय वायुसेना के उपकरण अच्छे नहीं थे, जिससे भारत की पराजय हुई।
ट्रेंडिंग डेस्क। भारत और चीन के बीच 1962 में लड़े गए युद्ध को आज ठीक 60 साल पूरे हो गए। यह शायद सभी जानते हैं कि करीब 8 दिन तक यह युद्ध चला था और इसमें भारत की हार हो गई थी। चीन से यह शर्मनाक हार किस वजह से हुई, क्या कारण थे, इन सबका पता लगाने के लिए एक कमेटी भारत सरकार ने गठित की थी। संभवत: इसकी रिपोर्ट भी आ गई थी, मगर कमेटी ने क्या वजह बताई इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ।
खैर, चीन से तनाव आज भी है। वह जब तब उकसाता रहता है और पूरी दुनिया में अशांति पैदा करते रहना चाहता है। वह हर समय युद्ध की नीयत से झगड़े-झंझट को अंजाम देता रहा है। उसकी यह आदत आज से नहीं कई दशकों से हैं। 20 अक्टूबर 1962 को भी चीन की सेना ने भारत पर हमला किया था। यह युद्ध आठ दिन चला और इसमें भारत की शर्मनाक हार हुई थी।
भारतीय वायु सेना के विमान और उपकरण अच्छे नहीं थे!
वैसे, चीन के एक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने आज से करीब दस साल पहले यानी वर्ष 2012 में यह खुलासा करके सभी को चौंका दिया था कि भारत-चीन का युद्ध जब 1962 में लड़ा गया था, तब इंडियन एयर फोर्स की हालत खराब थी। इसके कई विमान और हथियार अच्छे नहीं थे। दूसरी ओर, चीन के हथियार और तकनीक काफी उम्दा थी। उसके सैनिक जोशिले थे और उपकरण काफी अच्छी स्थिति में थी। ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि चीन के उपकरणों की तुलना में भारतीय वायु सेना के उपकरणों का स्तर काफी निम्न था।
सैनिकों तक रसद नहीं पहुंचा पा रही थी इंडियन एयर फोर्स!
यही नहीं, ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा भी किया कि भारतीय वायु सेना के अधिकारी युद्ध के समय जंग में उतरे अपने सैनिकों का ठीक से ख्याल नहीं रख रहे थे। रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया कि इंडियन एयरफोर्स जंग लड़ रहे अपने सैनिकों को रसद तक नहीं पहुंचा पा रही थी। हालांकि, लगभग उसी समय इंडियन एयर फोर्स के तत्कालीन प्रमुख एनएके ब्राउन (नॉर्मन अनिल कुमार ब्राउन) ने भी कहा था कि भारतीय वायु सेना की भूमिका 1962 के युद्ध में आक्रामक नहीं थी। अगर भारतीय वायु सेना आक्रामक भूमिका में होती, तो इस युद्ध का रिजल्ट का कुछ और ही आता। वैसे, दावा यह भी किया जाता है कि 1962के युद्ध में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने देश की हार का अंदाजा पहले ही लगा लिया था और वे ज्यादा नुकसान से बचने के लिए चीन को और भड़काना नहीं चाहते थे, जिससे कि चीन की सेना और अंदर तक आकर भारतीय शहरों पर बमबारी करके क्षति पहुंचाए। उनका मानना था कि भारतीय वायु सेना को ज्यादा सक्रिय रखा गया, तो चीनी सेना को उकसाने वाले कदम होगा, जो भारत के लिए नुकसानदायक साबित होगा। हालांकि, तब बहुत से लोग नेहरू का यह पक्ष जानने के बाद हैरान रह गए थे।
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