Parliament Attack की पूरी कहानी: 5 आतंकियों को गोलियों से भूनना-अफजल गुरु को जेल में ही दफनाना

Parliament Attack 13 December 2001: 13 दिसंबर 2001 की तारीख। 5 आतंकवादी संसद परिसर में घुसे और अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरू कर दिया। सुरक्षाकर्मियों सहित 9 लोगों की मौत हो गई और 16 अन्य घायल हो गए।

Asianet News Hindi | Published : Dec 13, 2021 5:00 AM IST / Updated: Dec 13 2021, 10:46 AM IST

नई दिल्ली. संसद पर आतंकी हमला (Parliament Attack)। 20 साल पहले। आज ही के दिन। हर तरफ यही शब्द गूंजा था। अखबारों से लेकर टीवी चैनल्स तक। सब तरफ दिख रहा था कैसे आतंकियों ने देश की संसद को निशाना बनाने की कोशिश की। 13 दिसंबर 2001 (13 December 2001) को भारतीय सुरक्षा बलों ने बता दिया कि वे कैसे हर आतंकी हमले (Terrorist Attack) पर भारी हैं। भारतीय लोकतंत्र के प्रतीक (Indian Democracy) संसद पर भारी हथियारों से लैस 5 आतंकवादियों ने हमला किया था। संसद भवन परिसर में सभी आतंकियों को मार गिराया गया। हालांकि दूसरी तरफ से 9 लोगों की मौत हो गई थी और 16 अन्य घायल थे। संसद पर हमले के 12 साल बाद दोषियों में से एक अफजल गुरु (Afzal Guru) को फांसी दी गई थी। संसद पर आतंकी हमला (13 दिसंबर 2001) रिकॉल  Parliament Attack (13 December 2001) Recall......

13 दिसंबर 2001 की तारीख। 5 आतंकवादी संसद परिसर में घुसे और अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरू कर दिया। सुरक्षाकर्मियों सहित 9 लोगों की मौत हो गई और 16 अन्य घायल हो गए। हमले की खबर मिलने ही वहां तैनात जवानों ने पोजिशन लेते हुए जवाबी फायरिंग की।

हमले के दो दिन बाद अफजल गुरु की गिरफ्तारी
हमले के दो दिन बाद यानी 15 दिसंबर 2001 को दिल्ली पुलिस ने अफजल गुरु को जम्मू-कश्मीर से गिरफ्तार किया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के जाकिर हुसैन कॉलेज के एस ए आर गिलानी को पूछताछ के लिए उठाया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। दो अन्य अफसान गुरु और उनके पति शौकत हुसैन गुरु को भी बाद में उठा लिया गया। फिर 29 दिसंबर 2001 कोअफजल गुरु को 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया।

18 दिसंबर 2002 को दोषियों को मौत की सजा
4 जून 2002 को चार लोगों, अफजल गुरु, गिलानी, शौकत हुसैन गुरु और अफसान गुरु के खिलाफ आरोप तय किए गए। 18 दिसंबर 2002 को एस ए आर गिलानी, शौकत हुसैन गुरु और अफजल गुरु को मौत की सजा दी गई। अफसान गुरु को छोड़ दिया गया। 30 अगस्त 2003 को जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के नेता गाजी बाबा, हमले का मुख्य आरोपी, श्रीनगर में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के साथ मुठभेड़ में मारा गया। उसके साथ तीन और आतंकवादी भी 10 घंटे की मुठभेड़ में मारे गए। 29 अक्टूबर 2003 को गिलानी मामले में बरी हुए।

दिल्ली कोर्ट ने अफजल को फांसी की सजा दी
4 अगस्त 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने अफजल गुरु की मौत की सजा की पुष्टि करते हुए शौकत हुसैन गुरु की मौत की सजा को 10 साल के कठोर कारावास में बदल दिया। 26 सितंबर 2006 को दिल्ली कोर्ट ने अफजल को फांसी देने का आदेश दिया। 3 अक्टूबर 2006 को अफजल गुरु की पत्नी तबस्सुम गुरु ने तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को दया याचिका दायर की। 
 
19 मई 2010 को दिल्ली सरकार ने अफजल गुरु की दया याचिका खारिज की। सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा का समर्थन किया। 30 दिसंबर 2010 को शौकत हुसैन गुरु दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा हुआ। 10 दिसंबर 2012 को गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि 22 दिसंबर को संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने के बाद वह अफजल गुरु की फाइल की जांच करेंगे। 3 फरवरी 2013 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दी। 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। उसकी बॉडी को दिल्ली की तिहाड़ जेल में दफनाया गया।

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