यही है वो मछली जल की रानी, जो 10 डॉलर में 1KG आती है, समुद्री लुटेरों की भी रहती है इस पर नजर

भारत और बांग्लादेश का रिश्ता इस समय दो कारणों से मीडिया में ट्रेंड है। पहला, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) 4 दिन की भारत यात्रा पर हैं। दूसरा, बांग्लादेश की नेशनल फिश हिलसा भारत को निर्यात की गई है। जानिए आखिर ये मछली क्यों खास है?

नई दिल्ली. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) 4 दिन की भारत यात्रा पर हैं। इस बीच बांग्लादेश की नेशनल फिश हिलसा मछली( Hilsha Fish,national fish of Bangladesh) मीडिया में ट्रेंड में है। कहावत है कि 'मछली जल की रानी है!' हिलसा पर यह सटीक बैठती है। यह भारतीयों को बहुत पसंद है। खासकर, दुर्गा पूजा के दौरान बंगाली लोग इसके बिना जैसे बेस्वाद हो जाएंगे। यह मछली $10 प्रति किलो के हिसाब से बांग्लादेश एक्सपोर्ट करता है। यह मछली की कितनी डिमांड है, इसका अंदाजा इसी से होता है कि यह अकसर समुद्री लुटेरों द्वारा लूट ली जाती है। पढ़िए एक मछली की दिलचस्प कहानी...

बंगालियों की पहली पसंद है मछली
बांग्लादेश सरकार ने आगामी दुर्गा पूजा के अवसर पर भारत को आठ टन हिलसा(Hilsha Fish) का निर्यात किया। मछली को ले जाने वाले 2 ट्रक सोमवार शाम बेनापोल सीमा शुल्क और बंदरगाह की औपचारिकताएं(Benapole customs and port formalities) पूरी करने के बाद भारत में पेट्रापोल बंदरगाह में प्रवेश कर गए थे। इस साल दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश भारत को कुल 2,450 टन हिलसा का निर्यात करेगा। बांग्लादेश के मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स ने 4 सितंबरको ही 49 कंपनियों को हिलसा निर्यात करने की अनुमति दी है। हरेक कंपनी 50 टन हिलसा का निर्यात कर सकती है।

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8 टन मछली का निर्यात सोमवार को बारिसल के महिला एंटरप्राइज द्वारा किया गया था जिसे भारत के एसआर इंटरनेशनल द्वारा आयात किया गया है। मछली निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण (Fish Inspection and Quality Control-FIQC) के इंस्पेक्टर महबूब रहमान ने हिल्शा मछली को 10 डॉलर प्रति किलोग्राम के हिसाब से निर्यात करने की पुष्टि की है।

बांग्लादेश में पद्मा नदी में रहने वाली हिलसा भारत के पश्चिम बंगाल के बंगालियों को बहुत पसंद है। हालांकि बांग्लादेश सरकार अपने देश की जरूरतों को देखते हुए समय-समय पर इसका निर्यात बंद कर देती है। 2012 में बांग्लादेश से भारत में हिलसा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, बांग्लादेश ने विभिन्न अवसरों पर भारत को हिलसा मछली भेंट की है। पिछले साल भी दुर्गा पूजा पर मछली का निर्यात किया था। बेनापोल के C&F एजेंट युथी एंटरप्राइज( Yuthi Enterprise) के मैनेजन मिजानुर रहमान ने कहा कि इस बार प्रति किलो हिलसा का निर्यात मूल्य $10 है, जो कि Tk947.39(बांग्लादेशी करेंसी) के बराबर है।

अकसर लूट तक जाती है हिलसा
हाल में कुछ बांग्लादेशी मछली व्यापारियों का दावा है कि जब 65 दिनों के बाद हिल्शा मछली पकड़ने पर बैन हटाया गया, तो समुद्र में बड़े पैमाने पर डकैती शुरू हो गई। कुआकाटा से 60 समुद्री मील दूर बंगाल की खाड़ी में सोनारचर छोयबाम इलाके में कम से कम 26 ट्रॉलर लूट लिए गए। बाद में मेयर दोआ नामक ट्रॉलर के मछुआरों ने डूबे हुए ट्रॉलर के मछुआरों को समुद्र से बचाया।  वहीं मछली कारोबारियों के एक सर्वे में यह भी सामने आया है कि पिछले 8 सालों में करीब 450 मछुआरों ने लूट और फिरौती की डिमांड के चलते यह पेशा छोड़ दिया है।

बांग्लादेश में हर साल 565,000 मीट्रिक टन हिलसा का उत्पादन
 बांग्लादेश में में हर साल लगभग 565,000 मीट्रिक टन हिलसा मछली का उत्पादन होता है। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, देश हर साल हिलसा बेचकर हुए मुनाफे से नया पद्मा ब्रिज बना सकता है। बता दें कि हाल में बांग्लादेश में पद्मा ब्रिज का उद्घाटन हुआ है। यह बांग्लादेश के इतिहास का सबसे बड़ा और अनूठा पुल है। यदि एक हिलसा मछली 500 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जाती है, तो कुल वार्षिक आय 28,000 करोड़ रुपए होती है। बांग्लादेश ने इस वर्ष का मत्स्य सप्ताह(Fisheries Week) 23-29 जुलाई तक मनाया था।

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