बिहार के 'लल्लन टॉप' प्रोफेसरः 2 साल में एक बच्चे को नहीं पढ़ाया, इसलिए सरकार को लौटा दिया सैलरी का 23 लाख रु.

 बिहार के नीतीश्वर सिंह कॉलेज के प्रोफेसर ललन कुमार ने एक मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी 2 साल की सैलरी यानी 23 लाख रुपए सरकार को यह कहकर लौटा दिए कि उन्होंने एक भी स्टूडेंट्स को नहीं पढ़ाया।

पटना. बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के नीतीश्वर सिंह कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रोफेसर ललन कुमार इन दिनों मीडिया में छाए हुए हैं। वजह ही कुछ अलग है। कई लोग सरकारी नौकरी इसलिए चाहते हैं, ताकि अधिक काम नहीं करना पड़े और सैलरी भी पूरी मिले। लेकिन प्रोफेसर ललन कुमार ने एक मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी 2 साल की सैलरी यानी 23 लाख रुपए सरकार को यह कहकर लौटा दिए कि उन्होंने एक भी स्टूडेंट्स को नहीं पढ़ाया। अब प्रोफेसर साहब चाहते हैं कि उनकी पोस्टिंग ऐसी जगह की जाए, जहां क्लास में बच्चे हों। बता दें कि ललन कुमार दिल्ली के जेएनयू से पढ़े हैं। इसके बाद बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (बीपीएससी) के द्वारा प्रोफेसर के लिए सिलेक्ट हुए थे।

लगातार अपने ट्रांसफर की मांग उठाते रहे हैं
प्रोफेसर ललन कुमार का कहना है कि जब उनकी नीतीश्वर सिंह कॉलेज में ज्वाइनिंग हुई, तब उन्होंने देखा कि यहां तो बच्चे ही नहीं हैं। तभी से ललन कुमार यहां से अपना ट्रांसफर कराने की कोशिश में लग गए थे। ललन कुमार की तकलीफ रही है कि उनका रैंक अच्छा था, बावजूद उन्हें नीतीश्वर सिंह कॉलेज (Nitishwar Singh College) में पोस्टेड कर दिया गया। यही नहीं, उनसे कम रैंक वालों को पीजी के लिए चयन किया गया। ललन कुमार कई बार इस कॉलेज से अपना ट्रांसफर कराने लेटर लिखते रहे, लेकिन हर बार उनका नाम लिस्ट से काट दिया गया। कहा जा रहा है कि यूनिवर्सिटी ने 6 बार ट्रांसफर ऑर्डर निकाले, लेकिन ललन का नाम काट दिया गया। अब ललन कुमार ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनका ट्रांसफर नहीं किया गया, तो वे अनशन पर बैठ जाएंगे। ललन कुमार ने 2 साल 9 माह के कार्यकाल की सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए लौटाने की पेशकश की है। हालांकि अभी इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है।

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प्रिंसिपल ने कोरोना को बताया वजह
ललन कुमार का मामला जब मीडिया की सुर्खियों में आया, तो कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. डॉ. मनोज कुमार को सफाई देने आगे आना पड़ा। उन्होंने कहा कि अगर ललन कुमार को कोई समस्या थी, तो आकर बताना था। हालांकि प्रिंसिपल ने तर्क दिया कि पिछले दो साल से कोरोना के चलते स्टूडेंट्स कम आ रहे थे। लेकिन प्रिंसिपल ने ललन कुमार के इस आरोप को गलत बताया कि कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है। ललन कुमार ने अपने ट्रांसफर से संबंधित कोई लेटर भी उन्हें नहीं दिया। रही बात स्टूडेंट्स के नहीं आने तो, उन्हें बुलाना चाहिए। बता दें कि कॉलेज में हिन्दी पढ़ने वाले कई छात्र हैं। कॉलेज में ऑनर्स के अलावा एमआईएल की भी पढ़ाई होती है। उधर, बाबा साहब भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलसचिव(रजिस्ट्रार) डॉ. आर.के ठाकुर ने माना कि ललन कुमार अपने ट्रांसफर को लेकर परेशान हैं। उन्होंने अपनी सैलरी का चेक लौटाया है। हालांकि उसे स्वीकार नहीं किया गया है। कुलसचिव ने कहा कि जहां तक नीतिश्वर सिंह कॉलेज में पढ़ाई नहीं होने की बात कही जा रही है, वे इस मामले की जांच कराएंगे।

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