जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर राज किया। बाद में 79 साल की उम्र में उस पर राजद्रोह का आरोप लगा। 2019 में संविधान को निलंबित करने के लिए उसे मौत की सजा सुनाई गई।
ट्रेंडिंग डेस्क : कारगिल युद्ध को हुए 24 साल बीत गए हैं लेकिन उन जख्मों की याद आज भी जेहन में ताजा हैं। हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas 2023) मनाया जाता है। यह वह ऐतिहासिक दिन है, जब भारत ने पाकिस्तान को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया था। हमारे जवानों ने पाकिस्तानी सेना को घर में घुसकर मारा और चारों खाने चित्त कर दिया था। इस युद्ध की साजिश रचने वाला कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तानी पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) था। जिसकी मौत तिल-तिलकर हुई। भारत को धोखा देने वाले परवेज मुशर्रफ अपने आखिरी पल में दर्द से भरा हुआ था। आइए जानते हैं उसका क्या हाल हुआ...
कारगिल वार की साजिश रचने वाला कौन था
1999 में कारगिल में जो युद्ध हुआ, उसकी साजिश रचने वाला परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 को दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। 1947 में जब विभाजन हुआ, तब उसका पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया। पिता पाकिस्तानी सरकार में काम करते थे। 1998 में परवेज मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना का जनरल बना और भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध की साजिश रच डाली। हालांकि, भारतीय जवानों ने उसके हर मंसूबे पर पानी फेर दिया। अपनी जीवनी 'In the Line of Fire : A Memoir' में जनरल मुशर्रफ ने लिखा है कि कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी लेकिन नवाज शरीफ के कारण ऐसा न कर सका।
परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा
जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर राज किया। बाद में 79 साल की उम्र में उस पर राजद्रोह का आरोप लगा। 2019 में संविधान को निलंबित करने के लिए उसे मौत की सजा सुनाई गई। 2020 में लाहौर हाईकोर्ट ने मुशर्रफ के खिलाफ नवाज शरीफ सरकार की सभी कार्रवाई को असंवैधानिक करार दिया और राजद्रोह को निलंबित कर दिया। दरअसल, हुआ ये था कि 1998 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे नवाज शरीफ। उन्होंने परवेज मुशर्रफ को सेना का प्रमुख बनाया लेकिन एक साल बाद ही 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर पाकिस्तान का तानाशाह बन गया। नवाज शरीफ को परिवार के साथ पाकिस्तान छोड़कर जाना पड़ा। 30 मार्च 2014 को मुशर्रफ पर 3 नवंबर 2007 को संविधान निलंबित करने का आरोप लगा और 17 दिसंबर, 2019 को एक विशेष अदालत ने मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई।
तिल-तिल कर हुई थी परवेज मुशर्रफ की मौत
मार्च 2016 में परवेज मुशर्रफ इलाज के नाम पर देश छोड़कर दुबई चला गया था। उसके बाद कभी पाकिस्तान का मुंह तक नहीं देखा। इसी साल 5 फरवरी को दुबई के एक अस्पताल में उसकी 79 साल की उम्र में मौत हो गई। मुशर्रफ को अमाइलॉइडोसिस (Amyloidosis) नाम की बीमारी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, परवेज मुशर्रफ को इस बीमारी ने कमजोर बना दिया था। वह न ठीक से चल पाता था और ना ही किसी से बात कर पाता था। उसके शरीर को अमाइलॉइडोसिस धीरे-धीरे निगलता गया। अमाइलॉइड का जमाव दिल, लीवर, प्लीहा, गुर्दे, पाचन तंत्र, मस्तिष्क और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचने लगा था। गंभीर थकान, वजन कम होना, पेट, टांगों, टखनों या पैरों में सूजन होना, स्तब्ध हो जाना, हाथ या पैर में झुनझुनाहट, दर्द, त्वचा के रंग में परिवर्तन होना, आंखों के आस-पास त्वचा पर बैंगनी धब्बे होना, सांस लेने में समस्याएं इस बीमारी के लक्षण हैं। अपने आखिरी समय में मुशर्रफ इन समस्याओं से जूझ रहा था।
मुशर्रफ के एक-एक अंग ने काम करना बंद कर दिया था
अमाइलॉइडोसिस बीमारी की बात करें तो हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये बीमारी तब होती है जब शरीर में अमाइलॉइड नाम का प्रोटीन बनता है। यह शरीर के अंगों को ठीक तरह से काम करने नहीं देता है। इस बीमारी से दिल, किडनी, लीवर, स्प्लीन, नर्वस सिस्टम और पाचन तंत्र सबसे तेजी से प्रभावित होता है। इसमें शरीर कमजोर होता चला जाता है और एक-एक अंग काम करना बंद कर देता है। इसका इलाज कैंसर की तरह ही होता है। वही दवाईयां भी दी जाती हैं। कीमोथेरेपी की जाती है। इन सब समस्याओं से जूझते हुए मुशर्रफ की मौत हो गई।
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