ग्रामीणों में से एक ने कहा कि बंदर छतों पर टाइल्स उठाकर घरों में घुस जाते हैं। इन बंदरों को बाहर निकालने के लिए बार-बार शिकायत की गई, लेकिन प्रशासन ने कुछ नहीं किया।
बेंगलुरु. कर्नाटक के कागलवाड़ी गांव में 60 बंदरों को कैद कर रखा गया था। उनकी हालत ऐसी थी कि वक्त रहते उन्हें न छुड़ाया जाता तो सबकी जान चली जाती। उन्हें ऐसे छोटे से पिंजरे में रखा गया था, जहां सांस लेना भी मुश्किल था। कई दिनों से उन्हें खाना-पानी तक नहीं दिया गया था। एक वीडियो के जरिए सभी बंदरों को छुड़ाया गया।
वन विभाग के अधिकारियों ने मोबाइल से शूट किए वीडियो की बदौलत 60 बोनट मकाक प्रजाति के बंदरों को बचाया गया। बाद में सभी बंदरों को बिलिगिरिरंगा हिल्स के आसपास के जंगलों में छोड़ दिया गया।
कई बंदरों की हो सकती थी मौत
बंदरों को छुड़ाने में कागलवाड़ी गांव के रहने वाले प्रमोद चक्रवती ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने ही बंद बंदरों का वीडियो बनाया और अधिकारियों को दिया। उन्होंने कहा, बंदरों की हालत दयनीय थी। उनके पास पिंजरे में सांस लेने तक की जगह नहीं थी। वे कई दिनों तक बिना खाना पानी के थे। अगर वन अधिकारियों ने समय पर कार्रवाई नहीं की होती तो कई बंदरों की मौत हो जाती।
क्यों और किसने पकड़े थे बंदर?
दरअसल, कागलवाड़ी में रहने वाले गांव के लोगों ने इन बंदरों को पकड़ने के लिए बंदर पकड़ने वालों को 30000 रुपए में बुलाया था। उनका कहना था कि ये बंदर उनके खेतों और घरों में घुस जाते हैं। करीब तीन दिनों तक बंदर पकड़ने का अभियान चला। 60 बंदरों को पकड़कर पिंजरे में बंद कर दिया गया।
ग्रामीणों में से एक ने कहा कि बंदर छतों पर टाइल्स उठाकर घरों में घुस जाते हैं। इन बंदरों को बाहर निकालने के लिए बार-बार शिकायत की गई, लेकिन प्रशासन ने कुछ नहीं किया।
बिना अनुमति बंदर पकड़ना अपराध
वन अधिकारी ने कहा कि वे बंदर पकड़ने वालों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं, क्योंकि यह पहले आरएफओ (रेंज वन अधिकारी) से पूछे बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है। बंदर पकड़ने वालों को काम पर रखने वालों पर कार्रवाई होगी।
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