छात्राएं धर्म के नाम पर क्लास में भी पहनना चाहती हैं hijab, जानें कैसी है पैगंबर मुहम्मद के वंशज की लाइफस्टाइल

कर्नाटक में हिजाब प्रकरण (Karnataka Hijab Row) को लेकर भारत समेत दुनियाभर में यह मुद्दा जोरशोर से उठाया जा रहा है। मगर बहुत कम लोग यह जानते हैं कि पैगंबर मुहम्मद के वशंज आज किस तरह रहते हैं। इस्लामिक व्यवस्थाओं को लेकर उनकी क्या सोच है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 10, 2022 6:46 AM IST

नई दिल्ली। ऐसे वक्त में जब भारत में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर बहस चल रही है। देश ही नहीं दुनियाभर में लोग इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, तब इस शख्स का जिक्र करना जरूरी हो जाता है, जो पैगंबर मुहम्मद के वंशज माने जाते हैं। उनकी खुद की और परिवार की लाइफस्टाइल क्या है। इस्लामिक व्यवस्थाओं को लेकर उनका नजरिया क्या है और इसे वे किस हद तक जरूरी मानते हैं, यह जानना महत्वपूर्ण है। 

दरअसल, जार्डन के किंग अब्दुल्लाह (द्वितीय) खुद को पैगंबर मुहम्मद का वंशज मानते हैं। वह बेहद आधुनिक हैं। उनके परिवार की औरतें हिजाब या बुर्के का इस्तेमाल नहीं करतीं। इसके विपरित पूरा परिवार आधुनिक और फैशनेबल कपड़ों में नजर आता है। इसमें जींस, टी-शर्ट, कैप्री जैसे कपड़े भी शामिल हैं। किंग अब्दुल्ला ऐसे इस्लाम को मानते हैं, जो कट्टरपंथी विचार से अलग है। 

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लोग उन्हें धर्मनिरपेक्ष और वास्तविक मुसलमान बता रहे हैं। उनकी पढ़ाई लिखाई अमरीका और ब्रिटेन में हुई है। उन्होंने ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है और अमरीकी महिला से शादी की है। लोग उन्हें इसका सबसे अच्छा उदाहरण बताते हैं कि मुस्लिम देशों को क्या करना चाहिए। किंग अब्दुल्लाह की पूरी दुनिया में प्रोग्रेसिव नेता की छवि है। वह दुनिया को जिहाद के नाम पर आतंकवाद और कट्टरपंथ की आग से बचाने के लिए भी काम करते हैं। 

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यही नहीं, किंग अब्दुल्लाह इस्लाम के नाम और धार्मिक आडंबरों को लेकर हिंसा कर रहे मुस्लिम कट्टरपंथी और आतंकी संगठनों के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने अपने देश जार्डन में आईएस यानी इस्लामिक स्टेट का खात्मा किया है। बता दें कि कर्नाटक के एक कॉलेज में मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने से मना कर दिया गया। मुस्लिम छात्राओं ने इसका विरोध किया। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता बताया। इसके बाद हिजाब के विरोध में हिंदू छात्र भगवा गमछा या शॉल पहनकर स्कूल आने लगे। इसके बाद यह विवाद और अधिक बढ़ गया है। मामला अब हाईकोर्ट में है। इस मामले को राजनीतिक रंग देने की भी कोशिश हो रही है। 

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