मछुआरों को समुद्र में मिली वो चीज.. जो बना सकती थी मालामाल, जिंदगीभर नहीं करते काम, मगर देनी पड़ी सरकार को

मछुआरों का समूह समुद्र में मछली पकड़ने गया था। वहां उन्हें स्पर्म व्हेल की उल्टी  मिल गई, जिसका वजन करीब 28 किलो 400 ग्राम था। बाजार में इसकी कीमत 28 करोड़ 40 लाख रुपए है। यह पुलिस के जरिए वन विभाग को दे दी गई। 

Asianet News Hindi | / Updated: Jul 24 2022, 07:04 AM IST

तिरुवनंतपुरम। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां मछुआरों के एक समूह को समुद्र में ऐसी चीज दिखी जो उन्हें जिंदगीभर के लिए मालामाल बना सकती थी। अगर यह चीज उन्हें मिल जाती, तो जिंदगीभर काम नहीं करना पड़ता, मगर ऐसा हो नहीं सका। यह खास चीज वे समुद्र से ले तो आए, मगर उन्हें देनी पड़ गई तटीय सुरक्षाकर्मियों को और सुरक्षाकर्मियों ने इसे वन विभाग को सौंप दिया। अब वन विभाग ने आगे की जांच के लिए इसे लैब में भेज दिया है। 

दरअसल, केरल में मछुआरों के एक समूह को समुद्र से 28 करोड़ 40 लाख रुपए कीमत की एम्बरग्रीस यानी स्पर्म व्हेल की उल्टी दिखी। ये मछुआरे तिरुवनंतपुरम के पास विझिंगम के रहने वाले हैं। मामला बीते शुक्रवार का है, जब वे समुद्र में मछली पकड़ने गए थे। यहां व्हेल की उल्टी दिखने पर वे उसे किनारे पर ले आए और बाद में तटीय पुलिसकर्मियों को सौंप दिए। इसका वजन करीब 28 किलो 400 ग्राम है। 

तटीय सुरक्षाकर्मियों ने कहा- वन विभाग को सौंप दी एम्बरग्रीस 
अगले दिन शनिवार को तटीय सुरक्षाकर्मियों ने मीडिया को बताया कि मछुआरों ने उन्हें एम्बरग्रीस सौंप दिया है और इसकी सूचना उन्होंने वन विभाग को भी दे दी है। वन विभाग की ओर से भी इसकी प्राप्ति सुनिश्चित कर ली गई है। इसके बाद वन विभाग की ओर से बताया गया कि इस उल्टी की जांच के लिए इसे राजीव गांधी सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी यानी आरजीसीबी को भेज दिया गया है। 

व्हेल के उल्टी का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में होता है, खासकर कस्तूरी वाली खूशबू के लिए 
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में एम्बरग्रीस यानी स्पर्म व्हेल की उल्टी की कीमत प्रति किलो करीब एक करोड़ रुपए है। यह इतनी महंगी इसलिए बिकती है, क्योंकि इत्र यानी परफ्यूम बनाने में इसका विशेष इस्तेमाल होता है और इसलिए इसकी कीमत बढ़ जाती है। खास तौर पर इत्र में कस्तूरी जैसी सुगंध बनाने के लिए यह काम में आता है। भारत में व्हेल के उल्टी की बिक्री प्रतिबंधित है। इसकी बड़ी वजह है स्पर्म व्हेल लुप्तप्राय प्रजाति की है। यह वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित प्राणी है। 

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