प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने कहा, ग्रामीणों को वैक्सीन लगवाने के लिए राजी करना बहुत मुश्किल काम है। हम पिछले चार दिनों से जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं। लेकिन वे अड़े हुए हैं कि वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। हालांकि अधिकारियों के लाख समझाने के बाद कुछ लोगों ने वैक्सीन लगवाई। डॉक्टर ने कहा कि हम स्थानीय लोगों को समझाने की कोशिश जारी रखेंगे।
बेंगलुरु. कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सरकार ने वैक्सीन लगाने का अभियान तेज कर दिया है। गांव-गांव शहर-शहर वैक्सीन लगाने के लिए सरकार से लेकर प्रशासनिक अधिकारी लगे हैं। इस बीच कर्नाटक के गडग जिले से एक चौंकाने वाली खबर आई है। यहां के दावल गांव के करीब 80 परिवारों के लोग वैक्सीन लगवाने के मना कर रहे हैं। इसके पीछे उनका तर्क भी बड़ा ही दिलचस्प है। जानें क्या है गांव के लोगों का तर्क...
'बाबा की आत्मा हमारी रक्षा करेगी"
स्थानीय लोगों का मानना है कि जिस संत के नाम पर इस गांव का नाम है वे ही (उनकी आत्मा) उन्हें किसी भी बुराई या नुकसान से बचाएगी। गांव के पास में ही संत दावल की एक दरगाह है। यहां स्थानीय लोग पूजा-पाठ करते हैं।
"घरों में दरवाजे नहीं हैं, चोरी नहीं होती"
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों को विश्वास है कि वो आत्मा ही उनकी देखरेख करती है। इसलिए उनके घरों में दरवाजे नहीं हैं। यहां के एक निवासी ने कहा, गांव में कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं है। हमारे घरों में दरवाजे नहीं हैं, लेकिन दशकों में एक भी चोरी नहीं हुई है। हमें किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है क्योंकि संत की आत्मा हमें सभी बुराईयों से बचाया है।
गांव के लोग बनाते हैं बहाने
डॉक्टर ने बताया कि वैक्सीन कैंप से जाने के लिए स्थानीय लोग कई बहाने बनाते हैं। कुछ कहते हैं कि उनकी तबीयत ठीक नहीं लग रही है तो कुछ कहते हैं कि उन्हें किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने जाना है। अगर स्थानीय स्वास्थ्यकर्मी जोर देते हैं तो वे कहते हैं कि उन्हें कोविड -19 की चिंता नहीं है क्योंकि संत उनकी रक्षा कर रहे हैं।