पहली बार ध्रुवीय भालू ने किया रेंडियर का शिकार, वैज्ञानिकों ने कहा- Global Warming का प्रभाव

इस वायरल वीडियो में ध्रुवीय भालू (Polar Bear) एक रेंडियर (एक तरह का हिरन) का शिकार करते हुए देखाई दे रहा है। वैज्ञानिकों मे इस घटना को  ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) से जोड़ा है। 

ट्रेंडिंग डेस्क. सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में ध्रुवीय भालू (Polar Bear) एक रेंडियर (एक तरह का हिरन) का शिकार करते हुए दिखाई दे रहा है। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद ध्रुवीय भालू के इस असामान्य व्यवहार को लेकर जीव वैज्ञानियों और पर्यावरणविदों की चिंताएं बढ़ गई हैं। कई जीव वैज्ञानिकों मे इस घटना को  ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) से जोड़ा है। The Weather Channel India ने इस वीडियो को शेयर करते हुए चिंता जाहिर की है।

बर्फीले आर्कटिक के ध्रुवीय भालू ठंड का मौसम बीतने के बाद सील और मछलियों का शिकार कर अपना पेट भरते हैं। लेकिन, हाल में ही एक भालू को रेंडियर (एक तरह का हिरन) का शिकार करते हुए देखा गया है। वायरल हो रहा वीडियो आर्कटिक महासागर में नार्वे के एक द्वीपसमूह स्वालबार्ड के हॉर्नसुंड का बताया जा रहा है। इस वीडियो में एक रेंडियर ध्रुवीय भालू से बचने के लिए समुद्र में कूद जाता है। जिसके बाद भालू भी उसके पीछे समुद्र के ठंडे पानी में तैरने लगता है।

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भालू ने कुछ दूर तक पीछा करने के बाद पानी में ही रेंडियर को अपने तीखे दांतों से मार डाला। बाद में भालू मरे हुए रेंडियर को पानी से खींचकर बाहर बर्फीली ठोस जमीन पर लेकर चला जाता है। किसी भी ध्रुवीय भालू के रेंडियर का शिकार करना बेहद ही असामान्य घटना मानी जा रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले कुछ दशकों में अपने सामान्य आहार के लिए समुद्री किनारों पर इन भालुओं का भटकना आम बात हो गई है।

वे सामान्य मौसम में भी वैकल्पिक खाद्य स्रोतों को खोजने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि ठंड के दिनों को काटने के लिए उनके पास पर्याप्त ऊर्जा नहीं बच रही है। माना जा रहा है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण सील और मछलियों का शिकार करना मुश्किल हो रहा है। जिसके कारण वे दूसरे जीवों को शिकार बना रहे हैं।

ध्रुवीय भालू पारंपरिक रूप से समुद्री जीवों का शिकार करने में माहिर होते हैं। वे ठंड के मौसम में समुद्र के जमने के दौरान सील का शिकार कर खुद का पेट भरते हैं। लेकिन, ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक की समुद्री बर्फ गर्मियों में जल्द ही पिघल जाती है और सर्दियों में देर से जमती है। इन जीवों को आर्कटिक की ठंडी जलवायु में जीवित रहने के लिए उच्च वसा वाले आहार की आवश्यकता होती है।

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