उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के सीएम हैं पुष्कर सिंह धामी, जानें कौन है उनका गुरु, जिसने हार के बावजूद दिलाया पद

Uttrakhand CM 2022: पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने पहली बार जुलाई 2021 में उत्तराखंड (Uttrakhand) के तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) के इस्तीफा देने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी और अब करीब दस महीने बाद चुनाव हारने के बावजूद दूसरी बार भाजपा ने उन पर भरोसा जताया है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 23, 2022 10:19 AM IST / Updated: Mar 24 2022, 10:31 AM IST

नई दिल्ली। पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने 23 मार्च, बुधवार को दूसरी बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (Chief Minister Of Uttrakhand) पद की शपथ ली। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी से की थी। दो बार मुख्यमंत्री बनने से पहले वह भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJUM) के दो बार प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट (Khatima Assembly Election Result) से भाजपा (BJP) के टिकट पर चुनाव लड़े, मगर हार गए। उत्तराखंड में जीत के बावजूद धामी की हार से भाजपा की चिंता बढ़ गई। कारण, धामी ने 2021 में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद सरकार काफी अच्छे तरीके से चलाई। भाजपा ने उत्तराखंड के हित में कड़ा फैसला लिया और 11 दिन की माथापच्ची के बाद धामी के नाम पर मुहर लगा दी। 

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कोश्यारी के ओएसडी और सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं धामी 
वैसे माना जाता है कि पुष्कर सिंह धामी के नाम को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य में कद्दावर भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी ने आगे बढ़ाया था। दरअसल, यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि भगत सिंह कोश्यारी पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक गुरु हैं। धामी इससे पहले कोश्यारी के विशेष कर्त्तव्य अधिकारी यानी ओएसडी तथा सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं। धामी ने राज्य में उद्योगों में नौकरियों के लिए स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दिए जाने का अभियान भी चलाया था।। बता दें कि धामी ने अपना राजनीतिक करियर 1990 में शुरू किया था। वह दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

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अब तक कैसा रहा धामी का सफर 
पुष्कर सिंह धामी का जन्म पिथौरागढ़ के टुंडी गांव में 16 सितंबर 1975 को हुआ था। हालांकि, उनकी कर्मभूमि खटीमा रही। यहीं से उन्होंने विधानसभा चुनाव भी लड़ा, मगर वे हार गए। उनके पिता भारतीय सेना में सूबेदार पद पर थे। उन्होंने मानव संसाधन प्रबंधन एवं औद्योगिक संबंध में पोस्ट ग्रेजुएट किया है। इसके अलावा उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई भी की है। उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत वर्ष 1990 में की थी। वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के लगातार दो बार यानी वर्ष 2002 और वर्ष 2008 में प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा, वह 2012 से 2017 और 2017 से 2022 तक दो बार विधायक रहे। 

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