वो 26 लोग.. जिन्होंने दिन-रात एक कर बनाया दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का संविधान, इतिहास के वो पन्ने, जिन्हें नहीं जानते आप

संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में हुई थी। 26 नवंबर, 1949 को संविधान स्वीकार किया गया और 24 जनवरी, 1950 को 284 सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर करके इसे अपनाया था।

ट्रेंडिंग डेस्क : देश आज 74वां गणतंत्र दिवस (Republic Day 2023) मना रहा है। इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का संविधान (The constitution of India) बनना कोई आसान बात नहीं था। इसकी पटकथा आजादी के पहले से ही शुरू हो गई थी। स्वतंत्रता सेनानियों के बीच संविधान निर्माण की चर्चा चल रही थी और इसी चर्चा से संविधान सभा का जन्म हुआ था। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में हुई। वैसे तो संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे लेकिन जब पहली बैठक हुई, तब करीब 200 सदस्य ही इसमें शामिल हुए। जब 1947 में देश का विभाजन हुआ और तब कुछ रियासतों ने इस सभा में हिस्सा नहीं लिया और सदस्यों की संख्या घटकर 299 रह गई। आइए जानते हैं संविधान के निर्माण की कहानी और उन 26 लोगों के बारें में, जिन्होंने दिन-रात एक कर गणतंत्र बनाने में अहम भूमिका निभाई...

संविधान निर्माण की कहानी

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दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का संविधान बनने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का वक्त लगा। इस दौरान 165 दिन में कुल 11 सत्र बुलाए गए। देश की आजादी के कुछ दिनों बाद 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा ने संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर की अगुवाई में ड्रॉफ्टिंग कमेटी का गठन किया। 26 नवंबर, 1949 को संविधान स्वीकार किया गया और 24 जनवरी, 1950 को 284 सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर करके इसको अपनाया। इसके बाद आज ही के दिन यानी 26 जनवरी, 1950 को हमारा संविधान लागू कर दिया गया। इसके लागू होते ही संविधान सभा भंग कर दी गई।

डॉ. भीमराव अंबेडकर

संविधान के पिता डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष थे। बाबा साहेब के नाम से फेमस अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। बाबा साहेब को संविधान का निर्माता माना जाता है। संविधान तैयार करने में अगर सबसे ज्यादा किसी का योगदान रहा तो वे बाबा साहेब ही थे।

पं. जवाहर लाल नेहरू

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का संविधान के निर्माण में अहम योगदान था। ये संविधान सभा में राज्यों की समिति, संघीय शक्ति समिति और संघीय संविधान समिति के अध्यक्ष थे। आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने से पहले पं. नेहरू इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत करते थे। इन्हें 'आधुनिक भारत का निर्माता' भी कहा जाता है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल

लौहपुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल संविधान सभा में मूलभूत अधिकारों, अल्पसंख्यक और कबाइली इलाकों की सलाहकार समिति के अध्यक्ष थे। संविधान के निर्माण में अहम भूमिका के साथ ही भारत को एकजुट करने में इनका अहम योगदान रहा है। अलग-अलग रियासतों को जोड़कर एकजुट करने का काम सरदार पटेल ने ही किया था। ये भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे।

सी राजगोपालचारी

राजाजी नाम से फेमस जागोपालचारी संविधान सभा की पहली बैठक में भी शामिल हुए थे। इनका जन्म 10 दिसंबर, 1878 में हुआ था। स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल थे। स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ये एक प्रसिद्ध वकील, लेखक, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ भी थे। भारत के गृहमंत्री, मद्रास के मुख्यमंत्री और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे हैं।

आचार्य जेबी कृपलानी

आचार्य कृपलानी के नाम से फेमस जेबी कृपलानी संविधान के मूलभूत अधिकारों की उप-समिति के अध्यक्ष थे। आचार्य कृपलानी स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही गांधीवादी विचारों से प्रभावित, समाजवादी, पर्यावरणविद भी थे। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इन्होंने अध्यापन का काम भी किया था। इनकी पत्नी सुचिता कृपलानी देश की पहली महिला मुख्यमंत्री थी।

सरोजनी नायडू

भारत कोकिला सरोजनी नायडू संविधान सभा की सदस्य थीं। संविधान सभा की पहली बैठक में मौजूद सदस्यों में सरोजनी नायडू भी शामिल थीं। बंगाल विभाजन के दौरान कांग्रेस में शामिल होकर इन्होंने भारत की आजादी में अहम योगदान दिया था। इनका जन्म 13 फरवरी, 1879 में हुआ था और 2 मार्च, 1949 को इन्होंने अंतिम सांस ली थी।

गोविंद वल्लभ पंत

इनका जन्म अल्मोड़ा के पास 10 दिसंबर, 1887 को हुआ था। पेशे से वकील गोविंद वल्लभ पंत स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के चलते कई बार जेल भी जाना पड़ा। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इन्हें तीन साल की जेल हुई थी। भारत रत्न से सम्मानित गोविंद वल्लभ पंत का संविधान निर्माण में अहम योगदान रहा। भाषाई आधार पर राज्यों को एकजुट करने में भी इनका योगदान अविस्मरणीय है। 1955 से 1961 तक केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे थे।

शरद चंद्र बोस

संविधान सभा के सदस्य शरत चंद्र बोस का जन्म 6 सितंबर, 1889 को हुआ था। पेश से वकील शरत चंद्र बोस ने स्वतंत्रता की लड़ाई में आगे बढ़कर हिस्सा लिया था। भारत छोड़ो आंदोलन में सबसे आगे की कतार में ये खड़े थे। शरद चंद्र बोस नेताजी सुभाष चंद्र के बड़े भाई थे।

डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा

संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष थे। 20 साल की उम्र में ही इन्होंने बिहार को अलग राज्य बनाने की मुहिम छेड़ दी थी। 1936 से 1944 तक पटना विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर भी रहे थे।

जीवी मावलंकर

इनका भी संविधान के निर्माण में काफी अहम योगदान रहा है। ये लोकसभा के पहले अध्यक्ष थे। संविधान सभा की कार्रवाई समिति के अध्यक्ष थे।

ए कृष्ण स्वामी अय्यर

संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के 6 सदस्यों में ए कृष्ण स्वामी अय्यर भी थे। मद्रास के एडवोकेट जनरल थे। संविधान के निर्माण में अहम भूमिका अदा की थी।

बी पट्टाभी सीतारमैया

संविधान सभा में बी पट्टाभी सीतारमैया हाउस कमेटी के अध्यक्ष थे। 1952 से लेकर 1957 तक मध्यप्रदेश के गवर्नर भी रहे थे।

केएम मुंशी

भारतीय विद्या भवन के संस्थापक केएम मुंशी एक जाने-माने साहित्यकार थे। संविधान सभा में ऑर्डर ऑफ बिजनेस कमेटी के अध्यक्ष भी थे। इन्होंने अहम रोल निभाया था।

एचसी मुखर्जी

संविधान सभा की अल्पसंख्यकों की उप-समिति के अध्यक्ष एचसी मुखर्जी ने संविधान के निर्माण में अपना अहम योगदान दिया था। ये पश्चिम बंगाल के पहले राज्यपाल थे।

गोपीनाथ बारदोलोई

जब संविधान सभा का गठन किया गया था, तब गोपीनाथ बारदोलोई को नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर ट्राइबल एरिया एंड असम की उपसमिति के अध्यक्ष बनाए गए थे।

एवी ठक्कर

संविधान सभा में जितने भी क्षेत्र थे, उसकी उप-समिति के अध्यक्ष थे। इसमें असम शामिल नहीं था। इन्होंने गणतंत्र को लेकर काफी अहम प्रयास किए थे। एवी ठक्कर का हरिजनों की उत्थान में काफी योगदान भी रहा है।

बीएल मित्तर

संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के 6 सदस्यों में से बीएल मित्तर भी एक थे। ये एक एडवोकेट जनरल थे।

माधवराव

बीएल मित्तर के इस्तीफे के बाद इन्हें संविधान की मसौदा निर्माण समिति का सदस्य नियुक्त किया गया था। इनका भी अहम योगदान माना जाता है।

सैयद मोहम्मद सादुल्लाह

प्रसिद्ध वकील सैयद मोहम्मद सादुल्लाह भी संविधान का मसौदा तैयार करने वाले 6 सदस्यों में से ये भी एक थे।

डीपी खैतान

पेशे से वकील डीपी खैतान भी उन 6 सदस्यों में शामिल थे, जिन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया था।

टीटी कृष्णमाचारी

जब डीपी खेतान का निधन हो गया था, तब इन्हें ही संविधान की मसौदा तैयार करने वाली समिति में जगह दी गई थी।

एन गोपालस्वामी अयंगर

अयंगर भी संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति में शामिल थे। 6 सदस्यों में इनकी भी अहम भूमिका रही थी। भारत को आजादी मिलने से पहले ये कश्मीर के प्रधानमंत्री भी रहे थे।

बीएन राव

ये संविधान सभा के सलाहकार थे। संयुक्त राष्ट्र में भारत की तरफ से पहले स्थायी प्रतिनिधि भी रहे थे।

श्रीहरेकृष्ण महताब

संविधान सभा के सदस्य श्रीहरेकृष्ण मेहता का संविधान के निर्माण में अहम योगदान था। श्रीहरेकृष्ण महताब 1946 से लेकर 1950 तक उड़ीसा के मुख्यमंत्री रहे थे। दांडी मार्च में हिस्सा लेने वालों में महताब भी शामिल थे। छूआछूत के खिलाफ इन्होंने आवाज उठाई थी।

एम आसफ अली

संविधान सभा के सदस्यों में एम आसफ अली भी शामिल थे। अमेरिका में भारत के पहले राजदूत और पेशे से वकील आसफ अली ने भारत की आजादी में बढ़-चढ़कर योगदान दिया था। आजादी की लड़ाई के दौरान इन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

भारत की जनता

संविधान का निर्माण ही महत्वपूर्ण नहीं था। इसके सफल होने के लिए इसके अनुपालन और उसके प्रति आस्था की अभव्यक्ति की जो आवश्यकता थी, उसमें भारत की जनता का स्थान सबसे ऊपर है। संविधान अंगीकृत ही भारत की जनता की तरफ से हुआ है। इसलिए संविधान निर्माण में इनका भी काफी योगदान रहा है।

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